पेपर लीक मामले में जिला प्रशासन द्वारा पत्रकार अजित ओझा, दिग्विजय सिंह, मनोज गुप्ता को फर्जी तरीके से फंसाकर जेल में भेज देने का काम किया था जिसमें पत्रकारों की एकता एवं शैक्षणिक, राजनैतिक, व्यापारी, छात्र संगठन, कर्मचारी संगठन, अधिवक्ता संगठन समेत अन्य संगठनों के समर्थन की बदौलत तीनों पत्रकारों को कोर्ट द्वारा जमानत दी गई और पुलिस महकमा द्वारा संगीन धाराओं को हटाया गया.