चाहत को हकीकत में बदल देवेंद्र बने डिप्टी कमिश्नर आयकर

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जौनपुर के देवेंद्र ने सिविल सेवा परीक्षा में पाया था उच्च स्थान

पत्नी की भी अलीगढ़ में डिप्टी एसपी पद पर हैं तैनाती

बड़े भाई उपलब्धि हासिल कर बने थे एआरटीओ

जौनपुर. कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, तबीयत से एक पत्थर तो उछालों यारो. दुष्यंत कुमार की इस पंक्ति को चरितार्थ किया है जौनपुर जिले के जमालपुर पोस्ट मदारपुर निवासी देवेंद्र दत्त यादव ने.
वह बहुत ही गरीब परिवार से जुड़े हुए हैं, उनके पिता पूर्वांचल विश्वविद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर कार्यरत थे और उनके चाचा रमाशंकर यादव अभी भी विश्वविद्यालय में डीएसडब्ल्यू विभाग से संबद्ध हैं. देवेंद्र दत्त यादव की पत्नी मोनिका यादव प्रांतीय पुलिस सेवा में डिप्टी एसपी पद पर अलीगढ़ में तैनात हैं.

पिता ने बच्चों के पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दी. देवेंद्र ने पोस्ट ग्रेजुएट टीडी पीजी कॉलेज जौनपुर से किया. इसके बाद आगे की पढ़ाई करने प्रयागराज चले गए. सिविल सेवा में मेरा रुझान जीवन के शुरुआती दिनों से ही था क्यूंकि हमारे परिवार में मेरे बड़े भाई पहले से ही सिविल सेवा में अपना योगदान प्रदान कर रहे थे। वर्तमान में वह सहायक परिवहन अधिकारी (एआरटीओ)के पद पर हैं. उन्होंने कहा कि मैं अपने सफलता का श्रेय किसी एक को नहीं देना चाहता. जीवन में अनेक पल ऐसे आते है जहां से आपकों सीखने की जरूरत पड़ती है. मेरे पूरे परिवार में पढ़ाई का काफी अच्छा माहौल हुआ करता था . एक सामान्य श्रेणी के परिवार से होते हुए भी पिता और चाचा को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा. ये चीज हम जैसे युवाओं को अपने शुरुआती दिनों में ही समझ जाना चाहिए, लेकिन उन्होंने हमेशा हम लोगों को पढ़ाई और शिक्षा को जीवन में कैसे उपयोगी बनाएं इस पर चर्चा करते थे और हमेशा मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करते थे. अपने बड़े भाई सुनील दत्त के कदमों पर ही चलते हुए 2017 की सिविल सेवा परीक्षा में उच्च स्थान उन्होंने प्राप्त किया . अभी मैं वाराणसी जिले में डिप्टी कमिश्नर इनकम टैक्स सर्कल 1 में कार्यरत हूं.

एक सिविल सर्वेंट बनने तक के सफर में बहुत सी समस्यायों का सामना करना पड़ता है , मैं शुरू से ही हिंदी माध्यम का विद्यार्थी रहा हूं और सिविल सर्विसेज की बदलती हुई पाठ्यक्रमों में ये समस्या परीक्षार्थियों को उलझा देती है जिसके लिए मैं दिल्ली तैयारी करने गया. हालांकि मैने बहुत कम समय में ही इस परीक्षा को पास कर लिया लेकिन देश को सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा को पास करने के लिए कितनी मेहनत की जरूरत पड़ी इसका कोई लेखा जोखा नहीं है.

अगर आप मेहनत करना जानते है तो कोई भी चीज ऐसे नही है जिन्हें आप प्राप्त नहीं कर सकते. हमारा देश युवाओं से भरा हुआ एक जनसंख्या लाभांश की स्थिति से गुजर रहा है ये युवाओं के लिए भी सबसे बेहतरीन अवसर है जिसे भुनाने के लिए उन्हें कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहिए.अपने आप को देश के पटल पर आगे लाएं अपने आपको सिद्ध करें. हम भारत के युवा देश हित में अपने आप को समर्पित करके इसमें अपना अमूल्य बौद्धिकता का योगदान प्रदान करे. उन्होंने कहा कि कोई भी छोटे से छोटा व्यक्ति भी किसी न किसी मामले में गुरु हो सकता है. अगर हमें उससे कुछ सीखने को मिलता है उससे पहरेज नहीं करना चाहिए. हमें अपने अंदर हमेशा लर्निंग टेंडेंसी रखना चाहिए.
डॉ सुनील कुमार की रिपोर्ट