विश्वविद्यालय, महाविद्यालय को नैक कराना जरूरी: डॉ. नीलेश पांडेय

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नैक क्रैटेरिया पर विश्वविद्यालय गंभीर:प्रो. निर्मला एस. मौर्य

जौनपुर. वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन सत्र प्रारंभ हुआ है.

इस अवसर पर मुख्य वक्ता बंगलुरु नैक के असिस्टेंट एडवाइजर डॉ. नीलेश पांडेय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति सात राज्यों में लागू कर दिया गया है. साल 2017 से नैक एक्रिडिएशन की नई नीति लागू की गई है. महाविद्यालय और विश्वविद्यालय को नैक कराना जरूरी है, इसको कराए बिना महाविद्यालय, विश्वविद्यालय को रिसर्च ग्रांट समेत अन्य ग्रांट नहीं मिलेंगे. डाटा के साथ किसी भी प्रकार का वैरिएशन नहीं होना चाहिए. नैक एक्रिडिएशन के डाटा पूरा होने के बाद उसका सही ढंग से प्रस्तुतीकरण होना जरूरी है. प्रस्तुतीकरण का प्रभाव भी बहुत मायने रखता है.  इसमें प्लेसमेंट सेल और एलुमनाई सेल की भी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है.  इससे मार्केट में क्या चल रहा है इसकी जानकारी हम बच्चों को दे सकते हैं. उन्होंने क्रैटेरिया 1-7 तक को विस्तार से बताया की हमें क्या- क्या करना है?

आशीर्वचन में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि नैक की क्रैटेरिया पहले से कठिन हो चुकी है, इसके लिए सेवन क्रैटेरिया बनाए गए हैं. हमारे सभी सहयोगी इस पर गंभीरता से काम कर रहे हैं ताकि विश्वविद्यालय को अच्छी ग्रेडिंग मिल सके. इसकी तैयारी भी विश्वविद्यालय तेजी से कर रहा है.
स्वागत भाषण और विषय प्रवर्तन प्रो. मानस पांडेय ने संचालन डॉ. धर्मेंद्र सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रदीप कुमार ने किया.

इस अवसर पर वित्त अधिकारी संजय राय, परीक्षा नियंत्रक वी एन सिंह, प्रो.बीबी तिवारी, प्रो.वंदना राय, प्रो. अविनाश पाथर्डीकर, प्रो. अजय द्विवेदी, प्रो. अशोक कुमार श्रीवास्तव, प्रो. राम नारायण,‌ प्रो. अजय प्रताप सिंह, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. संदीप कुमार सिंह, डॉ. मनोज मिश्र, डॉ. रजनीश भास्कर, डॉ.‌प्रमोद कुमार यादव, डॉ मनीष गुप्ता, डॉ. गिरिधर मिश्र, डॉ. संजीव गंगवार, डॉ. रवि प्रकाश, डॉ. नुपुर तिवारी, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. आशुतोष सिंह, डॉ. अमरेंद्र सिंह, एनएसएस समन्वयक डॉ. राकेश यादव, सहायक कुलसचिव बबिता सिंह, डॉ. अमित वत्स, डॉ. श्याम कन्हैया, डॉ. आलोक वर्मा, डॉ. मिथिलेश यादव, विद्युत मल, शशिकांत यादव समेत कई महाविद्यालयों के प्राचार्य उपस्थित थे.

(डा.सुनील की रिपोर्ट)