इटावा की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विशेषताओं पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार

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इटावा,28 मार्च.  आगामी 30-31 मार्च, 2022 को शहर स्थित राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में ‘सांस्कृतिक संबंधों की न्यास भूमि, इटावा: मूल्यांकन के विविध आयाम’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा. इस संगोष्ठी में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों और अकादमिक जगत से बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया गया है.

इस बारे में महाविद्यालय के प्राचार्य और संगोष्ठी के संरक्षक डॉ. श्यामपाल सिंह ने बताया कि यह संगोष्ठी उत्तर प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग के सौजन्य से आयोजित की जा रही है. यह संगोष्ठी लोकल से ग्लोबल की यात्रा का एक पड़ाव है. इस संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय का हिन्दी विभाग कर रहा है. इसमें इटावा के साहित्यिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के विषय को छूने की कोशिश होगी.

संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ रमाकांत राय ने कहा कि यह संगोष्ठी स्थानीयता को पहचानने का उपक्रम है. इटावा का समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास है. पौराणिक साहित्य में यह जनपद बहुत महत्त्व पाता रहा है. स्वाधीनता आंदोलन में भी इस जनपद में हलचल होती रही थी. यह जनपद साहित्य और इतिहास की धरोहर है. क्षेत्रीय राजनीति के उभार का यह विशेष केन्द्र रहा है. सेमिनार के जरिए साहित्य और संस्कृति इस केंद्र की आत्मा को समझने की कोशिश होगी.

आयोजन सचिव डॉ रमाकांत राय ने बताया कि संगोष्ठी दो दिन के चार तकनीकी सत्रों में चलेगी. 30 मार्च को इसका उद्घाटन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी, इटावा करेंगी. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केंद्रीय हिंदी संस्थान,आगरा के प्रो. उमापति दीक्षित होंगे. क्षेत्रीय केंद्र इग्नू, वाराणसी के निदेशक डॉ उपेन्द्र नभ त्रिपाठी और बुद्ध स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कुशीनगर के प्रो. गौरव तिवारी भी मौजूद रहेंगे. कार्यक्रम की अध्यक्षता क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, कानपुर डॉ रिपुदमन सिंह करेंगे.

इस अवसर पर विभिन्न महाविद्यालयों से प्राचार्य और प्राध्यापकों के आने और गंभीर परिचर्चा होगी. आए हुए शोधपत्र और आलेखों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की भी योजना है.

 

कार्यक्रम के संरक्षक डॉ श्यामपाल सिंह ने कहा कि उद्घाटन और समापन सत्र के अतिरिक्त चार तकनीकी सत्र होंगे जिसमें पहला सत्र साहित्य, दूसरा संस्कृति, तीसरा राजनीतिक – सामाजिक और चौथा अन्य पहलू पर केंद्रित होगा. इस संगोष्ठी के पहले दिन की संध्या कवियों के साथ बीतेगी जिसमें डॉ कमलेश शर्मा, डॉ राजीव राज, डॉ बालमुकुंद दिवाकर और रोहित चौधरी तथा डॉ कुश चतुर्वेदी रहेंगे.