सब्जी की खेती पर बाढ़ ने फेरा पानी , किसानों को पंजाब से लानी पड़ रही है परवल की लत्ती

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दुबहर, बलिया। घाघरा सरयू नदी में आई बाढ़ का असर गंगा नदी पर भी दिखाई पड़ने लगा है। गंगा नदी के तटवर्ती गांव में अब बाढ़ का पानी फैलने लगा है। इस क्रम में दबहर क्षेत्र पंचायत के जमुआ, गोपालपुर, सहोदरा, नगवा ,जनाडी, पांडेपुर, भड़सर, ओझवलिया ग्राम सभाओं के दियारे में बोई जाने वाली फसल इस बार काफी देर से बोई जाएगी।

 

विदित हो कि अगस्त माह में आए बाढ़ से जहां खरीफ की फसल नहीं बोई जा सकी वही बाढ़ में मक्के की फसल डूब गई। वही रबी की बुवाई भी प्रभावित होगी। इन दिनों मसूर, चना ,परवल, सरसों की खेती पर जोर दे रहे हैं। परवल की खेती इस क्षेत्र के किसानों के तकदीर बदल दे रही है। वहीं इस बार बाढ के दोबारा आगमन होने से खेत पानी में डूब गए हैं । जिससे किसानों द्वारा लाई गई परवल की लत्ती महंगी कीमत में लाकर भी बिना बुवाई किए रखने को मजबूर होना पड़ रहा है। किसान खेतों की जुताई कर फसल बोए जाने के अंतिम दौर में थे तभी 2 दिनों से बाढ़ का पानी उनके खेतों में फैलना शुरू हो गया है ऐसे में किसान मायूस है। इन्हीं फसलों पर उनके पूरे वर्ष भर का कार्यक्रम चलता है। जनाड़ी ग्राम सभा के किसान तारकेश्वर पांडे, रमाशंकर पांडे मसूर एवं सरसों की खेती करते हैं अब उनकी खेती पिछड़ गई । वही बीरबल पासवान परवल की खेती करते हैं प्रति एकड़ 60000 रुपये की लागत आती है किंतु गंगा नदी में औचक बाढ़ आ जाने से सब काम अवरुद्ध हो गया है। चकिया के बारी के किसान बीरबल पासवान जो परवल की खेती करते हैं उनका कहना है कि पंजाब से मैं लत्ती लेकर आया हू ,अब सब कुछ भाग्य भरोसे है।

 

अगरौली के किसान मोहन दुबे पिछले दिनों सरसों की बुवाई कर आए थे अचानक बाढ़ के कारण बीज जुताई, एवं मेहनत सब कुछ मारा गया। वही पांडेपुर निवासी शिव बिहारी पांडे, विनय प्रसाद, सुदर्शन पांडे ने कहा कि अक्टूबर माह में गंगा में कभी भी बाढ़ नहीं आती थी, यह सब कुछ अजूबा हुआ है। इस प्रकार गंगा के बाढ़ से जहां किसानों के चेहरे उतर गए हैं वही बुवाई प्रभावित हुई है।

(बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट)