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–वन गमन के बाद राम बन गए पुरुषोत्तम राम-कृष्ण चंद्र ठाकुर
बलिया ।श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ स्थल पर जीयर स्वामी जी महाराज के सानिध्य में चल रहे महायज्ञ में यज्ञ मंडप की परिक्रमा करने हेतु हजारों-हजार की संख्या में महिला तथा पुरुष काफी दूर-दूर से आ रहे हैं। पूरा यज्ञ स्थल सहित कई किलोमीटर का क्षेत्र बिल्कुल रमणीक बन चुका है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश आदि जगहों से काफी संख्या में भक्तगण आकर यज्ञ में हिस्सा ले रहे हैं।
विशाल यज्ञ मंडप में हजारों की संख्या में श्रद्धालु डॉ० श्याम सुंदर पाराशर महाराज तथा राष्ट्रीय प्रवचन कर्ता श्रीकृष्ण चंद्र ठाकुर जी द्वारा प्रवचन किया जा रहा है।श्री कृष्णचंद्र ठाकुर जी महाराज ने प्रवचन करते हुए शनिवार को कहा कि दूसरे मानव का शरीर स्पर्श करने से गुण व दोष आ जाते हैं। ऐसा ही केकई ने जब मंथरा का शरीर स्पष्ट करते हुए कहा कि तुम बताओ मुझे क्या करना है। उन्होंने कहा कि शरीर स्पर्श करते ही कैकई का जो राम के प्रति लगाव था वह बदलकर भरत के प्रति हो गया। कैकई ने कोप भवन में जाकर राजा दशरथ के आने पर कहा कि मुझे दो बर देने के लिए आपने जो वचन दिया है उसे आज पूरा करें। उनके बार- बार कहने पर भी वह अपनी मांग राजा दशरथ के समक्ष नहीं रखी जब तक राजा दशरथ ने यह नहीं कह दिया कि मैं राम की शपथ लेकर कहता हूं कि जो आज भर मांगोगे वह मैं दे दूंगा। फिर उसने पहले वर में भरत को अयोध्या की राजगद्दी तथा दूसरी बर में राम को बनवास की मांग की। राम के बनवास की बात सुनते ही राजा दशरथ मूर्छित हो गए और राम ने पिता के वचन को पूरा करने के लिए वन गमन की तैयारी शुरू कर दी। कहा भी गया है की प्राण जाए पर वचन न जाई, इस प्रकार राजा दशरथ और राम ने अपने रघुकुल की नीति व रीति का पालन किया।
(बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट)