जनपद के 3471 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर हुई स्वस्थ बालक-बालिका प्रतिस्पर्धा

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महिलाओं ने स्वस्थ बच्चों के साथ लिया बढ़-चढ़कर हिस्सा

विजयी बच्चों को दो अक्टूबर को किया जाएगा पपुरस्कृ

बलिया. जनपद के सभी 3471 आंगनबाड़ी केंद्रों पर बृहस्पतिवार को स्वस्थ बालक-बालिका प्रतिस्पर्धा का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों की सेहत परखी गयी. प्रतिस्पर्धा हेतु आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने समस्त आंगनबाड़ी केंद्रों पर त्योहार के रूप में इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ. महिलाओं ने अपने स्वस्थ बच्चों के साथ बढ़-चढ़कर आयोजन में हिस्सा लिया. सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा कार्यकर्ताओं ने प्रतिस्पर्धा में अपना योगदान प्रदान किया.

 

स्वस्थ बच्चों के अभिभावकों का अभिनंदन करते हुए उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं दी गग. इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी ने कहा कि इस प्रतिस्पर्धा का मुख्य उद्देश्य स्वस्थ प्रदेश की परिकल्पना को साकार करना हैं. स्वस्थ बच्चे को पुरस्कृत एवं सम्मानित होते देख कुपोषित बच्चों के अभिभावक भी प्रेरित होगे.

 

उन्होंने कहा विभाग की कोशिश है कि जनपद में कुपोषण को जड़ से खत्म कर दिया जाए। इसके लिए सभी का सहयोग की जरूरत है. गर्भवती महिलाओं को चाहिए कि वह गर्भकाल के शुरुआती दिनों से ही अपने पोषण पर ध्यान दे. एक पोषित मां ही पोषित बच्चे को जन्म देती है. उन्होंने धात्री माताओं से अपील की कि वह अपने शिशुओं के पोषण पर ध्यान दें.

पूनम तिवारी ने बताया- शिशु को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराया जाना बहुत जरूरी है. मां का पहला गाढ़ा दूध बच्चे के लिए टीके के समान होता है. मां के दूध में वह सभी आवश्यक तत्व होते हैं जो बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए जरूरी होते हैं. उन्होंने कहा शिशु को छह माह तक मां के दूध के सिवाय कुछ नहीं देना है, यहां तक कि पानी भी नहीं. छ: के उपरांत शिशु को मां के दूध के साथ—साथ ऊपरी आहार जरूर देना चाहिए. उन्होंने बताया इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लगातार गर्भवती और धात्री माताओं को जागरूक करती रहती हैं.

बृहस्पतिवार को हुई प्रतिस्पर्धा में विजयी बच्चों को दो अक्टूबर को पुरस्कृत किया जाएगा. स्वस्थ बालक/बालिका चयन हेतु विभिन्न मानकों पर अंक निर्धारित किए गए था.

 

 

मासिक वृद्धि निगरानी के लिए पांच अंक. व्यक्तिगत स्वच्छता के तहत साफ हाथ, नाखून कटे होने, पोषण श्रेणी (ऊंचाई लंबाई के सापेक्ष वजन) जो लगातार सामान्य श्रेणी में हो या गंभीर तीव्र अतिकुपोषित (सैम) से मध्यम गंभीर कुपोषित (मैम) या फिर मैम से सामान्य श्रेणी में आए हों, उसके लिए 10 अंक इसी प्रकार आहार की स्थिति -शून्य से छह माह तक केवल स्तनपान, छह माह से तीन वर्ष तक प्राप्त होने वाले अनुपूरक पुष्टाहार का नियमित सेवन, तीन से पांच वर्ष के बच्चे (प्राप्त होने वाले अनुपूरक पुष्टाहार) का नियमित सेवन तथा आंगनबाड़ी केंद्र में उपस्थिति के लिए और आयु आधारित टीकाकरण के लिए 10-10 ये अंक. जबकि डी वार्मिंग के लिए पांच अंक निर्धारित किए गए थे।इन्ही मानकों पर आज प्रत्येक केंद्र पर स्वस्थ बालक/बालिका का चयन किया गया.

(बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट)