बांसडीह: सहजानंद बाबा के स्थान सहित विशाल पेड़ सरयू नदी में हुआ समाहित

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

बांसडीह, बलिया.  पिछले दिनों वाराणसी, गाजीपुर ,बलिया में नदियों का जलस्तर बढ़ाव पर रहा. वहीं अब नदियों में पानी घटाव पर है. ऐसे में बांसडीह तहसील अंतर्गत चांदपुर गांव के पास क्षेत्र में प्रसिद्ध सहजानंद बाबा का स्थान और जिस पेड़ की पूजा होता थी देखते ही देखते सरयू ( घाघरा ) नदी में समाहित हो गया. मौके पर होता रहा जयकारा.

 

बता दें कि जिले के दक्षिण गंगा,उत्तर सरयू ( घाघरा ) और गंगा के पास से ही तमसा ( टोंस ) नदी निकलती है.

 

 

राजस्थान , मध्यप्रदेश के बराज से लाखों क्यूशेक पानी छोड़ने के बाद बलिया दक्षिण तरफ सदर तहसील से तथा बैरिया तक सभी गांव जलमग्न हो गए. वहीं उत्तर बेल्थरारोड ,बांसडीह, होते सरयू ( घाघरा ) नदी के पानी से बाढ़ आ गई.

 

उक्त नदियों के जलस्तर में कमी तो जरूर आई है,  लेकिन कटान जोरों पर है. बांसडीह तहसील अंतर्गत चांदपुर के पास बुधवार को गजब का कटान दिखा.

 

इलाके का प्रसिद्ध स्थान सहजानंद बाबा एवं पूजा करने वाला पेड़ को सरयू नदी ने अपनी चपेट में ले लिया. लोग जयकारा लगाते रहे किंतु देखते ही देखते नदी में ब्रह्म स्थान सहित पेड़ समाहित हो गया.

 

वहीं मनियर इलाके के कोटवा, मलाही चक, सुल्तानपुर,जयनगर में किसानों के खेत का कटान जारी है.

 

लोगों की मन्नत होती थी पूरी
गांव वालों का कहना है कि सहजानंद बाबा का स्थान आस्था का प्रतीक रहा है. मान्यता है कि जो भी सच्चा मन से मन्नत मांगता है. मन्नत पूर्ण हो जाती है.

 

कहा जाता है कि सहजानंद बाबा गभिड़ार (बिहार) नदी सरयू के तट पर निवास करते थे।उस दौरान सरयू (घाघरा )की तीव्र धारा द्वारा सत्तर के दशक में उनके स्थान को अपने पेटे में लिया था.

 

सन् 1972 में सहजानंद बाबा बांसडीह तहसील के चांदपुर पुरानी बस्ती के पास सरयू किनारे पहुंच गए. यहीं जमावड़ा हो गया. उसके बाद उनके ब्रह्मलीन होने पर वो जलसमाधिस्त हुए. बुधवार को सरयू की कटान ने बाबा के स्थल को काटते हुए अपने जद में ले लिया. ऐसे में अब सरयू नदी किसानों की उपजाऊ जमीन को भी लगातार निशाना बना रही है.

(बांसडीह संवाददाता रवि शंकर पांडे की रिपोर्ट)