रेवती: ऐतिहासिक शौर्य स्थल पर स्मारक बनाने के लिए जमीन का माप लिया गया

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रेवती, बलिया. स्थानीय विकास खण्ड के कुशहर ग्राम सभा अन्तर्गत मुड़िकटवा स्थित ऐतिहासिक शौर्य स्थल पर स्मारक बनाने के लिए शुक्रवार के दिन शौर्य स्थल के जमीन का माप आदि कार्य पर्यटन विभाग लखनऊ की संस्तुति पर विविधा आर्किटेक्ट के साइड इंजिनियर ने किया.

 

उक्त अवसर पर शौर्य स्थल के समिति के संयोजक अतुल पाण्डेय बब्लू सहित अन्य लोगों की मौजूदगी में आर्किटेक्ट इंजिनियर अभिमन्यु सिंह ने रफ ले आउट तैयार करते हुए ग्राम प्रधान चम्पा देवी से रख रखाव प्रमाण पत्र लिया गया.

 

ज्ञातव्य हो कि सन् 1857 में पीर अली को अंग्रेजों द्वारा फांसी दिये जाने एवं ब्रिटिश सरकार की हड़प नीतियों से खफा जगदीश पुर (बिहार )के बाबू कुंवर सिंह अपनी सेना लेकर ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध विद्रोह का डंका बजाते हुए अपनी हवेली से निकल पड़े. अस्सी वर्ष की उम्र के कुंवर बाबू को घेरने के लिए अंग्रेजी सेना उनके पीछे पड़ गई. विभिन्न अंग्रेज कैप्टनों के नेतृत्व में अंग्रेज सैनिकों के साथ कुँवर सिंह की लड़ाई आरा,दुल्लौर ,अतरौलिया,आजमगढ़ आदि में हुई.

 

वीरवर बाबू कुंवर सिंह अंग्रेज सैनिकों से लोहा लेते हुए मनियर के रास्ते कुशहर क्षेत्र में प्रवेश किए कुंवर सिंह के पीछे कप्तान डगलस की सेना लगी हुई थी. आगे-आगे कुंवर सिंह अपनी अल्प सैन्य टोली के साथ निकल रहे थे. उनके पीछे लगातार अंग्रेज सैनिक लगे हुए थे. जब इसकी भनक यहां के स्थानीय आजादी के दीवानों को लगी तो वे तुरंत बाबू कुंवर सिंह के मदद की योजना तैयार करने में लग गए.

 

रेवती, गायघाट, त्रिकालपुर,सहतवार तथा क्षेत्र के अन्य गांवों के लोगों ने बांस के नुकीले खप्चार तैयार किए तथा जिस रास्ते पर कुंवर सिंह आ रहे थे. उस रास्ते के अगल- बगल वे लोग परम्परागत हथियारों के साथ कुश के झुरमुटों तथा अरहर के खेतों में छिप गए. कुँवर बाबू की सैन्य टोली आगे बढ़ गयी. जैसे ही अंग्रेज सैनिक आए स्थानीय वीर जवानों ने छापेमार योद्धाओं की तरह उन पर टूट पड़े तथा एक-एक कर 107 अंग्रेज सैनिकों को प्राणहीन कर दिया तथा उनका शव तथा शस्त्र वहीं एक कुंए में डाल दिया. आज उस कुंए का अस्तित्व धरातल पर नहीं है. तब से इस स्थान विशेष का नाम मुड़िकटवा पड़ गया.

 

नगर रेवती के समाजसेवी अतुल उर्फ बबलू पांडेय ने  22 अप्रैल, 2010 में  अपने साथियों के साथ वीरवर बाबू के शौर्य स्थल पर तिरंगा फहराया.

 

लोगों का कहना है कि आजादी के सात दशक बीतने के बाद ही सही अब यहां शौर्य स्थल बनाकर वीरवर बाबू की प्रतिमा लग जाने की उम्मीद है.

(रेवती संवाददाता पुष्पेन्द्र तिवारी’सिंधू’की रिपोर्ट)