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–बलिया बलिदान दिवस के अवसर पर पुलिस लाईन में जनसभा को किया सम्बोधित
–बलिया के लोगों का बलिदान व त्याग देता है बलिया को नई पहचानः मुख्यमंत्री
–जिला कारागार परिसर में अमर शहीद राजकुमार बाघ की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण
–स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को नमन करते हुए उनके आश्रितों को किया सम्मानित
–प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच संकल्पों से महाशक्ति बनेगा भारतः मुख्यमंत्री
–बलिया में बेहतर परिवहन के लिए परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह की सौंपी जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश का स्वतंत्रता संग्राम बलिया‘‘ नामक पुस्तक का किया विमोचन
बलिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बलिया बलिदान दिवस के अवसर पर बलिया के स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों को नमन किया. उन्होंने जिला कारागार में अमर शहीद राजकुमार बाघ की प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर उनको श्रद्धान्जलि दी. इसके बाद पुलिस लाईन परेड ग्राउण्ड में आयोजित जनसभा को सम्बोधित किया.
कार्यक्रम का शुभारम्भ उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम नायक मंगल पांडेय व महान सेनानी चित्तू पांडेय के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया.
मुख्यमंत्री ने अपने सम्बोधन की शुरूआत भारत माता की जय व वन्देमातरम के उद्घोष के साथ की। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में जब पूरा देश जुटा है, इस अवसर पर मुझे बलिया के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े ऐतिहासिक बलिदान दिवस पर आने का सुअवसर मिला है। बलिया का एक अपना इतिहास है. कहा जाता है बलिया के लिए अनुशासन का कोई महत्व नहीं होता. लेकिन, आजादी के बाद देश के विकास के लिए जिस अनुशासन की आवश्यकता थी, वह बलिया में देखने को मिली है. वहीं देश को आजाद कराने के लिए जिस तेवर की आवश्यकता थी, वह तेवर भी बलिया के इतिहास में देखने को मिला है. जरूरत पड़ने पर मंगल पांडेय ने बैरकपुर छावनी में स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी जलाई. वह लड़ाई लगातार चलती रही. महात्मा गांधी ने जब अंग्रेजी छोड़ो भारत का नारा दिया था, तब महान सेनानी चित्तू पांडेय ने अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1942 में बलिया ने अपने आप को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया था। तब यहां के प्रथम कलेक्टर चित्तू पांडेय एवं पुलिस कप्तान महानंद मिश्र बने थे. यहां के क्रान्तिकारियों ने हल, कुदाल, फावड़ा आदि से ही आजादी की लड़ाई लड़ी थी और क्रांतिकारियों को जेल से छोड़ने पर अंग्रेजों को विवश कर दिया था. यहां के लोगों का बलिदान और त्याग बलिया को नई पहचान देता है. देश की आजादी के बाद यहां के लोगों ने देश के विकास की भी चिन्ता की.
मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा व सरयू के बीच बसा बलिया पौराणिक व पवित्र स्थल का प्रतीक है. वही पवित्रता यहां की क्रांति के रूप में झलकती है. आजादी के बाद एक बार फिर जब देश के लोकतंत्र को कुचलने के कार्य कुछ लोगों ने किया था, तब भी बलिया ने हुंकार भरी थी और लोकनायक जयप्रकाश के नेतृत्व में लड़ाई को बढ़ाने का काम किया. आम आदमी के मौलिक अधिकार, उसकी सुरक्षा व स्वालंबन के लिए आंदोलन चला, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का भी योगदान अविष्मरणीय रहा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नागरिकों को पांच संकल्प दिलाएं है, जिसके अनुसार हर व्यक्ति अपने कर्तव्यपथ पर आगे बढ़कर कार्य करना प्रारम्भ कर देंगे तो भारत को दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति के रूप में स्थापित कर देंगे. इस सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना के नियंत्रण में भारत ने बेहतर परिणाम दिखाया है. पूरी दुनिया में भारत को उदाहरण के रूप में देखा जाता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हर किसी को आजादी के अमृतकाल में अच्छा कार्यक्रम बनाना है और विकास के बारे में सोचना है. हर कोई अपने कर्तव्यों को लेकर आगे बढ़ें. उन्होंने कहा कि आज बिना भेदभाव के सबको योजनाओं का लाभ मिल रहा है. हर गरीब को आवास, शौचालय, राशन, हर गांव में बिजली और अन्य सुविधाएं पहुंचायी जा रही है. इसमें कोई संदेह नहीं कि आने वाले समय में भारत दुनिया का नेतृत्वकर्ता के रूप में होगा.
परिवहन के क्षेत्र में बेहतर हो बलिया
सीएम ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि संयोग से परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह बलिया के ही हैं, इसलिए बलिया परिवहन के क्षेत्र में और अच्छा होना चाहिए. यहां बेहतर कनेक्टिविटी होनी चाहिए. दयाशंकर सिंह को भी जिम्मेदारी देते हुए कहा कि बलिया का बस स्टेशन अच्छा हो। यहां इलेक्ट्रिक बसें चलवाएं. बलिया नगर का दायरा बढ़ाने के साथ चहुंमुखी विकास के लिए सभी जनप्रतिनिधि आगे बढ़कर काम करें. उन्होंने भरोसा दिलाया कि हमारी ओर से जहां भी सहयोग की आवश्यकता होगी, तत्परता से खड़ा रहूंगा. बलिया से लखनऊ जाने में और कम समय लगे, इसके लिए लिंक एक्सप्रेस-वे से बलिया को जोड़ा जा रहा है.
पुस्तक का किया विमोचन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग द्वारा प्रकाशित ‘‘उत्तर प्रदेश का स्वतंत्रता संग्राम बलिया‘‘ नामक पुस्तक का विमोचन किया. अमर सेनानियों के पराक्रम व बलिदान की वीरगाथा पर आधारित इस पुस्तक के लेखक डॉ शिवकुमार कौशिकेय की वर्ष 1857 से 1947 तक के इतिहास से अवगत कराने के लिए सराहना भी की. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की हर एक चिंगारी से जुड़ी हर एक तहसील एवं गांवों के इतिहास लेखन की आवश्यकता पर बल दिया.
सेनानी व उनके आश्रितों को किया सम्मानित
मुख्यमंत्री ने बलिया के छह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व उनके आश्रितों को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि महान सेनानियों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. हम सबका सौभाग्य है कि आजादी के योद्धाओं का दर्शन हो रहा है
मुख्यमंत्री ने कहा कि बलिया में मेडिकल काॅलेज तीन वर्ष पूर्व बन जाना चाहिए था, परन्तु जमीन नहीं मिलने के कारण नहीं बन पाया है. मेडिकल काॅलेज के साथ यहां की मुलभूत सुविधाओं को बढ़ाने में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए ही मुख्य सचिव को साथ लेकर आया हूं.
महान सेनानियों का हो रहा अब असली सम्मान: दयाशंकर
जनसभा में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए बलिया बलिदान दिवस के ऐतिहासिक मौके पर उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आभार प्रकट किया. हम सबके लिए सौभाग्य की बात है कि इस ऐतिहासिक अवसर पर मुख्यमंत्री का आगमन हुआ है. उन्होंने कहा कि हमारे महान सेनानियों को जो सम्मान 75 वर्षों में नहीं मिला, वह सम्मान मोदी व योगी की सरकार कर रही है. इससे पहले हेलीपैड पर उन्होंने मुख्यमंत्री का स्वागत किया.
इस अवसर पर अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी, सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त, सांसद रविन्दर कुशवाहा, राज्यसभा सांसद नीरज शेखर, विधायक केतकी सिंह पूर्व मंत्री उपेंद्र तिवारी व आनंद स्वरूप शुक्ल, पूर्व सांसद भरत सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष जयप्रकाश साहू सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे.
(बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट)