हजारों साल पुरानी है बक्सर की पंचकोसी यात्रा, पहले दिन का विश्राम गौतम ऋषि के आश्रम अहिरौली में

news update ballia live headlines
This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

बक्सर. पुरातन काल के ब्याघ्रसर यानी बक्सर को विश्वामित्र की नगरी कहा जाता है. रामायण के अनुसार महर्षि विश्वामित्र की यज्ञ सफल करवाने भगवान श्रीराम इस पावन नगरी में आये थे.

तड़का सुबाहु आदि राक्षसों का वध किये. इस नगरी में 5 कोषों तक महर्षियों का आश्रम था. जहां श्रीराम पहुंच कर आशीर्वाद प्राप्त किये.

भगवान श्रीराम ने जिस जिस आश्रम में जाकर प्रसाद चखा वहां आज भी भोग लगाकर पूजा अर्चना की जाती है.

बक्सर के लिए पहचान बन चुकी पांच दिवसीय पंचकोसी यात्रा की बुधवार को अहिरौली स्थित पहले पड़ाव से शुरुआत हो गई है. मेला में पांच दिनों में पांच कोस की यात्रा कर 5 अलग-अलग प्रकार के भोग लगाने की परंपरा है. जो पुरातन काल से आज तक चली आ रही है. इस दौरान जिला प्रशासन भी श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए पूरी तरह सजग रहती है, और हर पड़ाव पर सुरक्षा और सुविधाओं के व्यापक प्रबंध करती है.

मान्यताओं के अनुसार महर्षि विश्वामित्र के साथ सिद्धाश्रम में पधारकर श्रीराम-लक्ष्मण ने ताड़का, सुबाहु जैसे राक्षसों का संहार किया और महर्षि विश्वामित्र के यज्ञ को पूरा कराया. तत्पश्चात ऋषि मुनियों ने अपने आश्रम में श्रीराम-लक्ष्मण को पधारने का और आतिथ्य स्वीकार करने का आग्रह किया. उनके आग्रह को उन्होंने स्वीकार किया और कुछ दिन यहां रहकर ऋषियों-मुनियों से मिले और अलग अलग जगहों पर अलग अलग व्यंजनों का प्रसाद ग्रहण किये और उनसे आशीर्वाद लिया.

गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री राम चरित्र मानस में संकेत किया है , ” तह पुनि कछुक दिवस रघुराया। रहे कीन्ह विप्रन्ह पर दाया।। भगति हेतु बहु कथा पुराना। कहे विप्र जद्यपि प्रभु जाना।।” प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण जिस आश्रम में जो प्रसाद ग्रहण किये थे वही प्रसाद आज भी लोग उस स्थान पर ग्रहण करते हैं.

राष्ट्रीय संत श्री नारायण दास भक्तमाली उपाख्य मामाजी महाराज ने पंचकोसी परिक्रमा के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा है कि- आये रघुनाथ, विश्वामित्र जी के साथ, कीन्हें मुनि गण सनाथ, अपनी अभय बाँह-छाँह दै। असुरन्हि संहारे, यज्ञ कारज सँवारे, स्वारथ परमारथ को सम्यक निर्वाह दै।। मुनि जन मिलि सारे, राम-लखन को दुलारे, निज निज आश्रमनि हँकारे, आतिथ्य की सलाह दै। प्रभु ने स्वीकारे , सबकी कुटिन्ह में पधारे, नेहनिधि हित पंचकोसी परिक्रमा की राह दै।।
उसी परंपरा का तब से अनुसरण करते हुए बक्सर में पंचकोसी मेला आयोजित करने की परंपरा चली आ रही है.
आयोजित मेला का पहला पड़ाव बक्सर के चरित्रवन से एक कोस की दूरी पर मौजूद अहिरौली स्थित अहिल्या स्थान पर होता है। यहां जाने से पहले साधु संतों के साथ श्रद्धालुओं का जत्था रामरेखा घाट पर पवित्र गंगा स्नान करता है, फिर यात्रा शुरू होती है. मान्यताओं के अनुसार पहले पड़ाव अहिरौली में अहिल्या माता की पूजा आदि के बाद पुआ पकवान का भोग लगाया जाता है. यहां गौतम ऋषि का आश्रम मौजूद था.

(बक्सर से संवाददाता हरे राम राम की रिपोर्ट)