अस्तगामी सूर्य को व्रती महिलाओं ने दिया अर्घ्य

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सहतवार. स्थानीय नगर पंचायत सहित ग्रामीण क्षेत्रों में अस्तगामी सूर्य के छठ पूजा धूमधाम से मनाया गया.

इसके लिए छठ घाटों की साफ सफाई व लाईट की व्यापक व्यवस्था की गई थी. नगर पंचायत के तरफ से नगरपंचायत के बड़ा पोखरा, रेलवे क्रासिंग के पास स्थित पोखरा एवं दासजी के बुरी स्थिति पोखरे पर चारों तरफ लाइट की व्यवस्था रोड की साफ सफाई पीने के पानी का व्यापक व्यवस्था की गई थी. कहीं कोई अब अप्रिय घटना ना हो इसके लिए सहतवार पुलिस बराबर नगर पंचायत में भ्रमण कर रही थी.शाम को बड़े पोखरे पर नगर पंचायत अध्यक्ष सरिता सिंह ने अस्तगामी पूजा के समय छठ घाटों पर भ्रमण की और प्रतीक महिलाओं से आशीर्वाद लिया.

छठ पूजा को देखते हुए 2 दिन पहले से ही नगर के साफ-सफाई पोखरा की सफाई नगर पंचायत द्वारा कराई गई थी. जैसे ही शाम हुआ अस्तगाम सूर्य की पूजा के लिए महिलाएं और औरतें बुजुर्ग सभी लोग गाजे-बाजे के साथ नगर पंचायत पोखर पर पहुंचने लगे और अस्तगाम सूर्य की पूजा की. महिलाओं के छठ गीत से पूरा नगर पंचायत गुंजायमान हो रहा था.

शाम को समय से नगर पंचायत अध्यक्ष सरिता सिंह व नीरजसिंह गुड्डू ने बड़े पोखरा पर पहुंच कर अस्तगामी सूर्य की पूजा-अर्चना कर रही महिलाओं से आशीर्वाद लिया. कहीं किसी को कोई परेशानी ना हो इसके लिए पूरे पोखरा पर महिलाओं से घूम घूम कर जानकारी ली. किसी प्रकार की परेशानी होने पर तुरंत सुचित करने को कहा.

छठ पूजा के समय कही किसी को कोई परेशानी न हो इसके लिए नगरपंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि नीरज सिंह गुड्डू, ईओ रामबदनयादव, सुरेशजी, पंकज सिंह ,साहेबान अन्सारी, सहित बद्रीनाथ सिंह सेवा संस्थान के सभी सदस्य तत्पर दिखे.

(सहतवार से संवाददाता श्रीकांत चौबे की रिपोर्ट)

नगरा.  हे अस्ताचलगामी सूर्यदेव, हे भुवन भाष्कर, आप ही एक मात्र ऐसे देव हो.  जिस प्रकार से आपकी एक-एक किरणों में असंख्य शक्तियां विद्यमान हैं, उसी प्रकार हमारे कुटुंबी भी बल-पौरुष, यश-कीर्ति और दूध-पूत-लक्ष्मी से परिपूर्ण हों.ऐसा वर दीजिए. इसी कामना के साथ छठ महापर्व का व्रतियों ने शुक्रवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य दिया. इस दौरान राजा और रंक में कोई फर्क नजर नहीं आया, यहां तक की सत्ता में अपना रसूख रखने वाले और जनप्रतिनिधियों ने भी सूर्य षष्टि व्रत के दौरान जहां माथे पर दौरा उठाया वहीं व्रतियों से आशीर्वाद भी लिया. रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह अपने माथे पर प्रसाद से भरा दउरा लेकर अपने पिता घुरहू सिंह, अनुज रमेश सिंह, पत्नी पुष्पा सिंह, पुत्र यूकेश सिंह सहित अन्य परिजनों के साथ खाकी बाबा सरोवर पर पहुंचे व पत्नी पुष्पा सिंह को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करवाए. विधायक वहां पर व्रती महिलाओं से आशीर्वाद प्राप्त किया.
  छठ घाटों पर बुधवार को सायंकाल आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. महिलाओं ने शाम को तालाब, पोखरों व नहरों के किनारे बने छठ घाट डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया. देर रात महिलाओं ने पूजन अर्चन कर कोसी पूजा किया. पुत्र प्राप्ति और मंगल कामना के लिए व्रती महिलाओं ने तालाब व पोखरों में खड़े होकर छठ मइया की आराधना किया. अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य अर्पित करते हुए तन-मन की शुद्धता और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा. इस दौरान मंगल गीतों की धुन से पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहा . घाटों के आस-पास मेले जैसा दृश्य नजर आया.
आस्था के इस विहंगम नजारे को लोग कैमरे में कैद करते रहे. दिन भर घर में पूजन सामग्री तैयार करने के बाद अपराह्न से ही श्रद्धालुओं की टोली छठ घाट की ओर बढ़ने लगी थी.
परिवार के पुरुष सदस्य सिर व कंधे पर पूजन सामग्री से भरी दऊरा और ईंख लेकर आगे-आगे चल रहे थे तो उनके पीछे महिलाएं छठ पर्व की पारंपरिक गीत गुनगुनाती बढ़ रही थी. घाट पर पहले से तैयार वेदी की पूजा के बाद कलश और पूजन सामग्री रखकर महिलाएं नदी, तालाब व पोखरों में प्रवेश कर गईं. हाथ जोड़कर छठ मइया और सूर्य देव की वंदना करती रहीं. शाम 5 बजे के बाद जैसे ही सूर्य देव अस्त होने के लिए बढ़े अर्ध्य का क्रम शुरू हो गया. अर्ध्य अर्पित करते हुए व्रती महिलाओं ने परिवार के सुख-समृद्धि और मंगल की कामना की. इस पूजन को देखने के लिए बड़ी तादात में लोग घाटों के आस-पास जमे रहे. नगर पंचायत के भगमलपुर पोखरे,पचफेडवा पोखरे तथा प्राचीन दुर्गा मन्दिर पोखरे के अलावा चचयां ,भंडारी, सरायचावट पोखरे के अलावा सभी गावों में स्थित तालाब पोखरों पर व्रतियों एवं श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही.
पूर्व प्रमुख निर्भय प्रकाश, पूर्व प्रधान काशीनाथ जायसवाल, युवा समाजसेवी कृष्ण पाल यादव, भाजपा नेता डॉ मिलन राम आदि ने व्रतियों को सूर्य षष्ठी की शुभकामनाएं ज्ञापित की। इस दौरान थानाध्यक्ष दिनेश कुमार पाठक मय फोर्स चक्रमण करते रहे। वहीं सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस व महिला पुलिस कर्मी तैनात रही.
(नगरा से संवाददाता संतोष द्विवेदी की रिपोर्ट)

 

बलिया. जिला मुख्यालय सहित आसपास के क्षेत्रों में व्रती महिलाओं ने पस्तगा में सूर्य को और हियर दिया प्रार्थना की कि हे भगवान भास्कर कल जल्दी दर्शन दीजिएगा नगर क्षेत्र के भिर्गु आश्रम टाउन हॉल रामलीला मैदान महावीर घाट शनिचरी मंदिर बिरला घाट पुलिस चौकी के आसपास मिश्र नेवरी राजपूत नेवरी कदम चौराहा सहित हर तालाब पोखर के किनारे छठ व्रत रखने वाली महिलाएं 4 बजे से स्वामी सूर्य की पूजा कर रही थी अलग-अलग वीडियो  और नए फॉल पुष्प नए वेद के साथ भगवान सूर्य की पूजा की और अपनी संतान के दीर्घायु होने की कामना की.
 कहा कि हे भगवान भास्कर जैसे आप अपनी किरणों का तेज पूरी धरती के प्राणियों तथा वनस्पतियों में फैला रहे हैं वैसी ही कृपा हमारे संतानों पर भी कीजिएगा छठ व्रत की मौके पर चारों तरफ पुलिस की कड़ी व्यवस्था की गई थी महिला कांस्टेबल भी जगह-जगह लगाए गए थे. उन व्रती महिलाओं ने छत पर ही पोखरी बनाकर स्वामी सूर्य को अर्घ्य दिया जिनके लिए नदी व तालाब जा पाना संभव नहीं था सभी व्रती महिलाएं बृहस्पतिवार को तड़के 4 बजे से भगवान भास्कर के उदय होने की प्रतीक्षा करेंगे और उदय होते ही अरे देकर व्रत का समापन करेंगे. छठ पूजा लोकास्था का महापर्व है. मूलतः सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है.
 यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है. पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में. चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जानेवाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है.
पौराणिक लोककथा के अनुसार लंका विजय के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया था और सूर्यदेव की आराधना की. सप्तमी को सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था.
एक अन्य कथा के अनुसार पांडवों की पत्नी द्रौपदी द्वारा भी सूर्य की पूजा करने का उल्लेख है. वे अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए नियमित सूर्य पूजा करती थीं.
एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी.  सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की. कर्ण भगवान सूर्य का परम भक्त था. वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देता था. सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बना था. आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही पद्धति प्रचलित है.

(बलिया से कृष्णकांत पाठक की रिपोर्ट)