बलिया की विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान- राजेश कुमार मिश्र

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गड़वार. जनपद बलिया जिसको बागी बलिया के नाम से जाना जाता है जिसकी पहचान धर्म की स्थापना एवं क्रांति के रूप में होती रही है. बलिया की स्थापना महा राजा राजा बलि के नाम पर हुई है तथा वर्तमान समय में 1 नवंबर साल 1879 को इसकी स्थापना हुई. इसके लिए हमारे पूर्वज ने कितने बलिदान दिए ऐसे महान दिन के बलिया जनपद स्थापना दिवस की आप सभी को बधाई यह बातें ब्राह्मण स्वयंसेवक संघ के प्रदेश महासचिव राजेश कुमार मिश्र ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कही.

उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में जब धर्म की महत्ता को सिद्ध करने के लिए महर्षि भृगु के ऊपर दोष लगा था उस दोष से निवारण इसी पवित्र भूमि पर हुआ था चाहे 1857 की क्रांति रहे जिसकी शुरुआत इसी बलिया के गौरव मंगल पांडे ने किया था. 1942 में देश को आजाद करने की भूमिका में चिंतू पाण्डेय राम दहिन ओझा आदि महान क्रांतिकारियों के नेतृत्व में बलिया 19 अगस्त को आजाद हो गया. 1977 में आपातकाल के दौरान लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में देश में एक नई क्रांति लाना हो या वर्तमान समय में भी युवा तुर्क पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर जी से लेकर के पंडित जनेश्वर मिश्र तक बलिया देश पटल पर ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर अपनी पहचान कायम रखा है. कोविड-19 जैसे भयंकर महामारी में चाहे टीके का निर्माण हो या दवा का आविष्कार हो बलिया के लाल डॉक्टर संजय राय एवं अनिल कुमार मिश्र की भूमिका महत्वपूर्ण रही. ऐसे महान जनपद के निवासी होने पर गर्व की अनुभूति होती है. उन्होंने अंत में एक बार पुनः सभी को बलिया जनपद की स्थापना दिवस के हार्दिक शुभकामनाएं व्यक्त की.

(गड़वार से संवाददाता ओम प्रकाश पाण्डेय की रिपोर्ट)