गड़हांचल के करईल इलाके में किसान बाढ़ व बारिश के पानी से परेशान

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नरही, बलिया. गड़हांचल का करईल इलाका आज भी बाढ़ व बारिश के पानी की मार झेल रहा है इलाके के किसानों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर यह पानी अचानक आया कहां से है. कई सड़कों पर बाढ़ व बारिश का पानी बह रहा है जबकि अमांव दुलारपुर मार्ग पर एकौनी गांव में सड़क पर चार फीट पानी बह रहा है जिसके कारण इस सड़क पर आवागमन बंद हो गया है.

बाढ़ का पानी नदियों में अब तेजी से उतर रहा है और मानसून ने अलविदा कह दिया हो लेकिन पूरा करईल इलाका आज भी बाढ़ व बारिश के पानी से कराह रहा है इन किसानों का कोई सुध लेने वाला भी नहीं है.

कोटवा नारायणपुर से लेकर कथरियां गांव के सीवान में बड़े पैमाने पर धान एवं मसूर की खेती जाती है .पहले बाढ़ की वजह से धान की फसल बर्बाद हो गई अब रवि की खेती भी बुरी तरह प्रभावित होने वाली है, क्योंकि 15 अक्टूबर से रवि की बुवाई शुरू हो जाती है. लेकिन खेतों में 4 से 5 फीट पानी अभी भी लगा हुआ है.

इलाके में पांच हजार एकड़ खेती नहीं हो पाएगी और किसान मसूर की खेती तो कर ही नहीं पाएंगे.

भाजपा नेता बंश नारायण राय ने बताया कि कोटवा नारायणपुर, रामगढ़, नसीरपुर, टुटुवारी, दुलारपुर, बघौना,मेड़वरा, पुन्नी पुर, चुरैली रामापुर, विशेश्वर पुर, इब्राहिमपुर, एकौनी आदि गांवों के किसानों का बाढ़ के पानी से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है और इन किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए. रामगढ़ गांव निवासी किसान अशोक राय,देवनाथ यादव, श्याम जी यादव, चन्द्रमा यादव, शिवशंकर, रामकृष्ण राय,विनय राय ने बताया कि बाढ़ के समय से ही इलाके के किसान परेशान हैं बाढ़ के पानी से धान की फसल बर्बाद हो गई और अब दलहनी फसलों की खेती भी नहीं हो पाएगी.

कारण की खेतों में चार से पांच फीट पानी लगा हुआ है. आलम यह है कि अभी भी सड़कों पर चार जगह पानी बह रहा है. किसानों ने बताया कि पहले यह पानी ताल से होते हुए मगई नदी में चला जाता था लेकिन इधर एक दशक से यह पानी का निकास बंद हो गया है.

खेतों में जो पानी लगा हुआ है वह खेत में ही सूखेगा ऐसे में यह संभावना लगाया जा रहा है कि पानी सूखने में महिनों लग जाएंगे. जिसके कारण दलहनी फसलों में मसूर, चना,मटर, खेती नहीं हो पाएगी. किसानों का मानना है कि गेहूं की खेती भी नहीं हो पाएगी। ऐसे में किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होना तय है.

(नरही से विश्वंभर प्रसाद की रिपोर्ट)