इब्राहिमाबाद के डेढ़ सौ एकड़ खेतों में फैला बाढ़ बरसात व सीवरेज का पानी, समस्या सुनना तो दूर झांकने भी नहीं आए जनप्रतिनिधि और अधिकारी

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बैरिया, बलिया. इब्राहिमाबाद गांव के सिवान में लगभग डेढ़ सौ एकड़ खेतों में बाढ़ बरसात व सीवरेज तीनों तरह का पानी पिछले 3 माह से ठहरा हुआ है. खेत पूरी तरह से जलमग्न है. खेतों के बीच से होकर शिवन टोला तक जाने वाली सड़क भी डूबी हुई है. इस मार्ग से आवागमन बंद है. ऐसा नहीं है कि यहां के किसानों ने इस अनापेक्षित जलजमाव से निजात पाने का प्रयास नहीं किया. खूब प्रयास किया लेकिन इनकी समस्या दूर करने की बात तो अलग है जनप्रतिनिधि और अधिकारी कोई यहां झांकने तक नहीं आया. किसानों के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही हैं. खरीफ की फसल तो नष्ट हुई अब रवि से भी उम्मीदें टूटने लगी है.

बाढ़ बरसात व सीपेज का पानी
डेढ़ सौ एकड़ खेतों में फैला बाढ़ बरसात का पानी

बुधवार को इब्राहिमाबाद गांव के पूरब कुकूरिया बाबा के स्थान पर इकट्ठा अपने खेतों को निहारते गांव के किसान, लगान पर खेती किसानी करने वाले लोग तथा खेतों में मजदूरी करने वाले काफी संख्या में कृषि मजदूर पुरुष और महिलाओं जिनमें धनंजय सिंह, हरि नारायण सिंह, ददन सिंह, सोनू सिंह, मंगल सिंह, गीता देवी, मंझरिया देवी आदि ने बताया कि पिछले तीन साल से बरसात बाढ़ व सीपेज का पानी हमारे गांव के लगभग डेढ़ सौ एकड़ खेतों में फाइल जा रहा है. इस साल और भी ज्यादा पानी बढ़ा है. बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर जी के जमाने में टेंगरहीं-संसार टोला बांध पर संसार टोला के पास बने रेगुलेटर कि हर साल बाढ़ का पानी उतरने के बाद सफाई होती थी. दोनों तरफ के सिल्ट साफ़ किए जाते थे.

इब्राहिमाबाद के किसानों की टूट रही उम्मीद
इब्राहिमाबाद के किसानों की टूट रही उम्मीद

पानी निकल जाता था और जाकर गंगा नदी में मिल जाता था. लेकिन चंद्रशेखर जी के निधन के बाद जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. धीरे-धीरे पानी निकलने वाले रास्ते पर जगह-जगह सिल्ट जमा हो गया है. और 3 साल से स्थिति या है कि बाढ़ और बरसात शुरू होते ही हम लोगों के खेतों की फसल नष्ट हो जाती है. पहले तो खरीफ ही बर्बाद होती थी लेकिन अब रवि पर भी इसका खतरा बढ़ गया है. रास्ते की सफाई के लिए सिंचाई विभाग के पास आने वाला धन कहां जाता है पता नहीं. गांव वालों ने बताया कि खरीद की खेती के समय इस सिवान में धान मक्का उड़द तथा बड़े पैमाने पर मिर्चा की खेती की गई थी। कमर्शियल क्रॉप के तौर पर मिर्चा की खेती यहां के किसानों के लिए बहुत बड़ा आधार है. यहां का मिर्चा बिहार झारखंड व पश्चिमी बंगाल के बाजारों में जाता है. किसानों को नकद आमदनी हो जाती है. लेकिन इस साल पानी में लगातार डूबे रहने के वजह से सब कुछ नष्ट हो गया. एक दाना भी किसी के घर नहीं आया. इस जलजमाव में खेतों में कहीं घुटने कहीं कमर तो कहीं डूबने लायक पानी लगा हुआ है. खरीफ का सब कुछ नष्ट हो गया. किसानों ने बताया कि खरीफ तो गया अब तो रवि की खेती पर भी खतरा है. अभी तक पानी नहीं निकला. खेतों से पानी निकलेंगे, खेत सूखेगा तब ना हम लोग रवि की खेती करेंगे. जैसे हालात है खेत से पानी निकलते और खेत तैयार करते जनवरी-फरवरी आ जाएगा. किसानों ने बताया कि सिवान में गेहूं चना मसूर सरसों और सब्जियों की व्यापक खेती होती है. हमारे गांव के किसान खेती से खुशहाल रहते थे. लेकिन 3 साल से हमारी खुशहाली पर ग्रहण लग गया है. हमारे गांव में लगभग 400 ऐसे पुरुष महिला हैं जो कृषि मजदूरी करके अपना परिवार चलाते हैं. उनके लिए तो रोटी का भी संकट है. लगान पर लेकर खेती करने वालों कि और भी दुर्दशा है. हम लोगों ने एसडीएम, विधायक, सांसद तथा सिंचाई विभाग के अधिकारियों के यहां समूह में जाकर पानी निकलवाने की व्यवस्था करने की गुहार लगाई. लिखित प्रार्थना पत्र भी दिया. लेकिन आश्वासन भर मिले. कोई इस गांव में झांकने तक नहीं आया. हम लोगों ने अपनी समस्या को लेकर मुख्यमंत्री के पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई है. दो दिन पहले सिंचाई विभाग के एक अवर अभियंता यहां आए थे. हम लोगों के साथ घूम कर यहां की स्थिति देखें और चले गए. उनके जाने के 2 दिन बाद भी अभी कोई ऐसी पहल नहीं हो सकी है जिससे हम उम्मीद करें कि हमारे खेतों से पानी निकल जाएगा और हम रवि की खेती कर पाएंगे.

इब्राहिमाबाद गांव की महिलाएं
इब्राहिमाबाद गांव की महिलाएं

उधर सिंचाई विभाग के अवर अभियंता चितरंजन कुमार से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि मैं इब्राहिमाबाद गया था जहां-जहां पानी लगा है. सब का निरीक्षण किया और अपनी रिपोर्ट भी अधिशासी अभियंता को सौंप दिया है. पूछने पर अवर अभियंता ने बताया कि संसार टोला रेगुलेटर तो खोल दिया गया है लेकिन पानी उतना नहीं जा रहा है जितना जाना चाहिए. इसकी वजह रेगुलेटर से लगभग 100 मीटर आगे पानी जाने वाले रास्ते पर बहुत ज्यादा सीट जमा हो गया है. जिसके चलते यह पानी गंगा नदी में वापस नहीं लौट पा रहा है. जिस जगह पर सिल्ट जमा है उस जगह के काश्तकार तो अपने उत्तर प्रदेश के हैं लेकिन वह जमीन बिहार राज्य में पड़ती है. मैंने रिपोर्ट भेज दी है। जनप्रतिनिधि और जिलाधिकारी पहल करके बिहार के भोजपुर के जिला अधिकारी से बात करके अनुमति प्राप्त कर लें, अगर सिर्फ साफ कर दिया जाएगा तो यह पानी 3 दिन में ही समाप्त हो सकता है। जिस जगह से पानी गंगा तक जाने का प्रवाह अवरुद्ध हो रहा है वह जगह बिहार राज्य में है यही बड़ी समस्या है.

 

(बैरिया से संवाददाता वीरेन्द्र मिश्र की रिपोर्ट)