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बलिया. विश्व हिंदू परिषद के कारसेवक पुरम जानकी घाट अयोध्या में रहने वाले बलिया के लाल विहिप नेता त्रिलोकी नाथ पांडे अब हम लोगों के बीच नहीं रहे.
उन्होंने शुक्रवार को सांयकाल साढ़े सात बजे लखनऊ के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनका अंतिम दाह संस्कार उनके पैतृक गांव दया छपरा से गंगा घाट पर किया जाएगा.
विहिप नेता त्रिलोकी नाथ पांडे ने साल 1979 से विश्व हिंदू परिषद के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य प्रारंभ किया। आपातकाल के पूर्व रायबरेली जिले के जिला प्रचारक रहे. विश्व हिंदू परिषद के संगठनात्मक दायित्व से मुक्त करके उन्हें जुलाई 1992 में अयोध्या लाया गया। तब से अयोध्या ही उनकी कर्मभूमि बनी रही. साल 1992 के बाद सिविल और अपराध दोनों ही प्रकार के श्री राम जन्मभूमि के मुकदमों की पैरोकार के रूप में कार्य करते थे. सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा उच्च न्यायालय लखनऊ में भगवान का मुकदमा देखने के लिए उन्हें रामसखा नियुक्त किया गया था. वे वकीलों के बीच तालमेल बनाए रखते थे. भगवान के पक्ष में गवाहों को प्रस्तुत करने में भी उन्होंने कड़ी मेहनत की. साल 2017 से उन्हें चलने में कष्ट होने लगी थी. दिल्ली के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनके शरीर की जांच पड़ताल हुई थी. बाद में उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया. जांच में पता चला कि गर्दन और कमर दोनों ही अंगों की नसें दब रही है. ऑपरेशन ही विकल्प है. देश के सर्जन डॉ. काले ने उनका ऑपरेशन किया था. ऑपरेशन सफल रहा. वह चलने फिरने लगे थे.
5 अगस्त 2020 को श्री राम जन्मभूमि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए भूमि पूजन कार्यक्रम में भी हुए उपस्थित रहे. मंदिर निर्माण कार्य स्थल पर भी वे अनेकों बार गए लेकिन विगत 6 माह से उनका चलना फिरना लगभग बंद हो गया था. बार-बार लखनऊ इलाज के लिए जाना पड़ता था. उन्होंने स्वयं लखनऊ में अपने परिचित डॉक्टर विक्रम से बात की.
20 सितंबर को डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में भर्ती हुए परंतु विधि का विधान निश्चित है. आपातकाल में वे मीसा बंदी भी रहे. उनकी आयु लगभग 77 वर्ष की थी. वे मूलतः बलिया जिले के दया छपरा गांव के निवासी थे. उनके सभी पुत्र पुत्रियां विवाहित हैं. उनके दो पुत्र अरविंद पांडे वह अमित पांडे है.
(बलिया से कृष्णकांत पाठक की रिपोर्ट)