सियासी दलों के प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन में सिर्फ ब्राह्मण ही क्यों बुलाए जा रहे? विशेष आलेख

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बैरिया,बलिया. विधानसभा चुनाव में ब्राह्मणों को अपने पाले में करने के लिए सभी राजनीतिक दल प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन के माध्यम से ब्राह्मण मतों को साधने में लगे हुए है और इस कार्यक्रम को प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन का नाम देकर ब्राह्मणों को बुलवाया जा रहा है. उनकी मंशा टटोलने की जुगत हो रही है. सबसे बड़ा प्रश्न है  कि प्रबुद्ध वर्ग में केवल ब्राह्मण ही क्यों आते हैं? अन्य वर्गों के लोग क्यों नहीं?

प्रबुद्ध वर्गों में सभी वर्गों के पढ़े-लिखे लोग भी आते हैं लेकिन वोटों के ध्रुवीकरण के लिए बुलावा सिर्फ ब्राह्मण का ही होता है. जाहिर है किसी विवाद से बचने के लिए इसे प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन का नाम दिया गया. ब्राह्मण को साधने में अकेले सपा ही नहीं बल्कि बसपा, भाजपा सभी दल ब्राह्मणों को तरह – तरह का प्रलोभन दे रहे हैं. इससे ऐसा लगता है कि विधानसभा चुनाव नजदीक आ गया है.

सपा के थिंकटैंक कहे जाने वाले छोटे लोहिया स्वर्गीय जनेश्वर मिश्रा के जयंती के अवसर पर समाजवादी पार्टी ने उनके पैतृक गांव शुभनथही में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन करा कर पांच ब्राह्मण सपा के कद्दावर नेताओं को बुलाकर इसका आगाज किया था जिसमें काशी के पंडितों ने शंख बजाकर मंगलाचरण और स्वस्तिवाचन  करते हुए इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया था.

इसके तत्काल बाद बसपा ने भी सतीश मिश्रा को आगे कर प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन जगह-जगह कराना शुरू कर दिया. यहां तक ही यह कार्यक्रम नहीं रुका. इस पर भाजपा ने भी मंथन करते हुए प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन का आयोजन करना शुरू कर दिया. भाजपा  ब्राह्मण नेताओं को भेजकर ब्राह्मण मत को साधने का काम शुरू कर दी है.

कहीं ना कहीं ऐसा लग रहा है कि ब्राम्हण मतों का लेखा-जोखा करने में सभी दल असमंजस में है. राजनीतिक दलों ने प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन करा कर अन्य बिरादरी के प्रबुद्ध वर्गों का फिलहाल तो अपमान करना शुरू कर दिया है. जब ब्राह्मणों को ही बुलाकर उनके मंतव्य को समझना है तो इस कार्यक्रम का नाम प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन क्यों दिया गया. आए दिन यह सुनने को मिल रहा है कि प्रबुद्ध वर्ग में केवल ब्राह्मण ही आते हैं या अन्य जाति के भी प्रबुद्ध वर्ग के लोग नहीं आते हैं, इसका जवाब किसी के पास नहीं है

बसपा ने एक बार नारा दिया था कि तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार. प्रदेश में ऐसा नारा देने के बावजूद इस दल ने एक ब्राह्मण नेता को आगे कर प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन कराकर ब्राह्मणों को साधने का काम शुरू किया है जिसे तिलक वाले क्या कभी स्वीकार करेंगे?

समाजवादी पार्टी भी हमेशा कहती है कि सपा में ब्राह्मणों का बहुत कदर है. पंडित जनेश्वर मिश्र, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे आदि का हवाला देकर समाजवादी पार्टी में ब्राह्मण सम्मान चरम पर होने का दावा किया जाता है. अब देखना है कि ब्राह्मण मतों पर इसका कितना असर होता है.

भाजपा हिंदुत्व की बात करते हुए ब्राह्मणों को रिझाने का प्रयास में लगी है लेकिन ब्राह्मणों में भी कुछ ऐसे ब्राह्मण है जो भाजपा को ब्राह्मण विरोधी बता रहे हैं.अब देखना है कि हिंदुत्व के नाम पर भाजपा ब्राह्मणों को कितना अपने तरफ मोड़ पाती है.

प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन को लेकर राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा जरूर हो रही है कि इस बार 2022 के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण जिस दल के तरफ रुख करेगा, उसकी सरकार उत्तर प्रदेश में बन सकती है. अब देखना यह है कि ब्राह्मण मत को कौन सा दल अपनी तरफ मोड़ने मे सक्षम होता है.

(बलिया से कृष्णकांत पाठक की रिपोर्ट)