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हल्दी क्षेत्र के बसुधरपाह गांव में हो रहे श्रीराम जानकी प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ में चौथे दिन एक तरफ यज्ञ पंडाल में विधि- विधान से लकड़ी मंथन से हवन कुंड में वैदिक मंत्रोच्चार से अग्नि उत्पन्न किया गया और हवन हुआ वहीं दूसरी तरफ प्रवचन प्रांगण में प्रवचन कर्ता कुमारी साधना जी ने शिव विवाह का विस्तृत वर्णन किया और शिव विवाह का महत्व श्र्दालुओ को बताया.
संयोजक और कथावाचक आचार्य दयाशंकर शास्त्री जी ने कृष्ण जन्मोत्सव का वर्णन किया. पंडाल झूम उठा जब झांकी के रूप में माथे पर टोकरी में बाल-गोपाल नटखट कान्हा को लेकर पिता वासुदेव जी का प्रवेश कृष्ण जयकारे के साथ हुआ.जब नदी में पांव की गति धीमी हो गई थी और किस प्रकार दुःखी मन अपने जिगर के टुकड़े को अपने से दुर करने जा रहे थे वासुदेव जी और किस भगवान के चरणों को छूने के लिए नदी बढ़ती है.
प्रसंग को छेड़ते हुए गायक चन्दन जी ने सोहर गाना शुरू किया तो पंडाल में बैठी महीलाओं ने भी गाना शुरू कर दिया.हलवा और मिठाई के साथ साथ नाच गाना कर भक्तों ने कृष्ण जन्मोत्सव मनाया.
वही दूसरी ओर प्रात काल के पूजन हुआ, परिक्रमा के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां दुर्गा, भगवान शिव, राधा-कृष्ण, राम-सीता, हनुमान जी और शालीग्राम देवता का जलाभिषेक हुआ.
मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की सबसे पहली प्रक्रिया जलाभिषेक का ही हुआ, शास्त्रानुसार सर्वप्रथम मूर्ति की पूजा अर्चना हुई फिर एक गड्ढे में पानी भर कर गंगाजल से शुद्ध किया गया और अंततः मूर्ति को जयघोष के साथ जलाभिषेक किया गया.