यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.
वाराणसी. कहते हैं लालच बुरी बला है लेकिन लोग हैं कि मानते ही नहीं और लालच के चक्कर में बड़ी रकम गंवा बैठते हैं। ऐसा ही मामला सामने आया है वाराणसी के चेतगंज थाने में तैनात हेड कांस्टेबल से जुड़ा हुआ जिससे को जालसाजों 20 लाख रुपए ठग लिए।
बलिया में बांसडीह थाना क्षेत्र के गोविंदपुर माधोपुर के निवासी हेड कांस्टेबल संजीव कुमार यादव की तैनाती वाराणसी के चेतगंज थाने में हैं। संजीव ने जो बताया उसके मुताबिक साल 2019 में उनकी मुलाकात में चितईपुर क्षेत्र में रहने वाले अमर प्रताप सिंह से हुई जोकि मूल रूप से बिहार के रोहतास जिले के पियरी का निवासी है। दोनों में दोस्ती हो गई और अमर ने एक बार संजीव से कहा कि वह सरकारी कर्मचारी हैं जिसके पास पैसा रहता है। इस पैसे का निवेश शेयर मार्केट में कर दें तो कम से कम 12 प्रतिशत ब्याज मिलेगा।
संजीव ने पहले तो अमर को मना कर दिया लेकिन अमर के अलावा उसका साला पंकज और उसका ड्राइवर संदीप गौतम उन्हें शेयर मार्केट में पैसा लगाने के लिए लगातार उकसाते रहे तो वह उनकी बातों में आ गए। इसके बाद उन्होंने खुद के और अपनी पत्नी के नाम से दो डीमैट एकाउंट खुलवाये। फिर धीरे-धीरे करके अपने जमा रुपए और दोस्तों व रिश्तेदारों से लेकर भी 20 लाख रुपये दोनों डीमैट एकाउंट में ट्रांसफर कर दिये।
संजीव ने बताया कि उन्होंने 20 लाख रुपये दोनों डीमैट एकाउंट में मई 2020 में जमा किए थे। सितंबर 2020 तक तो सब कुछ ठीक था लेकिन अक्टूबर 2020 में उन्होंने अमर से कहा कि बहन की शादी के लिए सारे रुपयों की जरूरत है तो अमर ने कहा कि जल्दी ही वह सारा भुगतान करा देगा।
यहीं से कहानी में मोड़ आ गया। इसके बाद अमर का मोबाइल फोन स्विचऑफ रहने लगा। चितईपुर क्षेत्र में उसके किराये के मकान में जाने पर पता लगा कि अब वह यहां नहीं रहता है। उसके साले और ड्राइवर कहा कि अब अमर से उनका कोई संबंध नहीं हैं। इसके बाद उसने अपने स्तर से बिहार तक अमर का पता लगाया लेकिन कहीं पता नहीं लगा तो उच्चाधिकारियों से कार्रवाई की गुहार लगाई।
वाराणसी के लंका थाने के इंस्पेक्टर महेश पांडेय ने बताया कि तहरीर के आधार पर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। वैसे इस मामले में डीमैट खातों की जांच भी की जाएगी, क्योंकि डीमैट खातों से पता चल जाएगा कि रुपए किसके अकाउंट में ट्रांसफर किए गए और उन खातों से फिर कहां निकाले गए।