बागी बलिया के अपने ‘स्पार्टाकस’ चितरंजन सिंह नहीं रहे

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बलिया। देश के जानेमाने मानवाधिकारवादी चिंतक चितरंजन सिंह का शुक्रवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. बीते 18 जून को उनकी तबीयत अत्यधिक खराब होने पर उन्हें शहर के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था. वहां से 21 जून को चिकित्सक ने उन्हें वाराणसी के लिए रेफर कर दिया था. 22 जून को बीएचयू वाराणसी के चिकित्सक ने भी उन्हें घर ले जाने की सलाह दी. तब से जिले के सुल्तानपुर गांव स्थित उनके पैतृक आवास पर उनका इलाज चल रहा था.

कह दो न कि यह खबर झूठी है. चितरंजन भाई जैसे लोग मरा नहीं करते. कह दो न कि शट अप मिथिलेश, प्लीज.. यह बकवास बंद करो…. लेकिन सच यही है और सात ताले के भीतर का सच यही है कि मौत जिस शख्स के घर का पता बरसों से पूछ रही थी और जो उसे लगातार पटकनी देता रहा, वह अब नहीं है. कल को वह भस्मीभूत हो जाएगा. वह परिंदों को सिखाएगा आजाद होना और हवाओं को सिखाएगा लकड़बग्घों की आहट पाते ही सायं सायं का सायरन बजाना. वह हमारा स्पार्टाकस था, वही था हमारे समकालीन जीवन का आदिविद्रोही जिसे आग लगाना और बुझाना, दोनों हुनर आते थे. मन व्याकुल है दोस्त. तफसील से फिर कभी.

– मिथिलेश कुमार सिंह (देश के जाने माने पत्रकार)



चितरंजन सिंह के छोटे भाई वरिष्ठ पत्रकार मनोरंजन सिंह के अनुसार शुक्रवार की शाम को जब इस बात का अंदेशा हुआ कि उनकी सांस नहीं चल रही है तो डॉक्टर को बुलवाया गया. डॉक्टर ने चेक करने के बाद उनके निधन की पुष्टि की. इसके बाद उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई. चितरंजन सिंह परिवार में छोटे भाई मनोरंजन सिंह, उनके पुत्र प्रशांत रंजन, उत्सव रंजन और पुत्री श्रृंखला रंजन समेत भरापुरा परिवार है.

चितरंजन सिंह की बीमारी की जानकारी होने के बाद बीते 24 जून को जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही उनके आवास पर हालचाल लेने के लिए पहुंचे थे. उन्होंने मनोरंजन सिंह से उनकी बीमारी को लेकर लंबी बातचीत भी की थी. शुक्रवार को जैसे ही जिले में चितरंजन सिंह के निधन की सूचना फैली, उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई. उनके आवास पर लोगों के आने का तांता लग गया. चितरंजन सिंह वर्तमान समय में पीयूसीएल (लोक स्वातंत्रय संगठन) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष थे.