यथार्थवाद और प्रतिरोध के सशक्त कवि थे स्व. केदार नाथ सिंह

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  • विचार गोष्ठी में कवि केदार नाथ पर केंद्रित ‘चौपाल’ पत्रिका का लोकार्पण

बलिया : प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह पर केंद्रित ‘चौपाल’ पत्रिका के लोकार्पण के अवसर पर बलिया ने एक बार फिर से अपने लाल को शिद्दत से याद किया. टाउन डिग्री कॉलेज के राजेंद्र प्रसाद सभागार में रविवार को लोकार्पण एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया.

कार्यक्रम की शुरुआत में केदारनाथ सिंह पर केंद्रित ‘चौपाल’ पत्रिका का लोकार्पण किया गया. लोकार्पण के बाद ‘संकल्प’ संस्था के रंगकर्मियों ने केदारनाथ सिंह की महत्वपूर्ण कविताओं पर केंद्रित रंग प्रस्तुति दी.

दूसरे चरण में विचार गोष्ठी आयोजित की गयी. पत्रिका के संपादक डॉ. कामेश्वर सिंह ने कहा कि केदारनाथ सिंह पर केन्द्रित इस पत्रिका को आप सबके बीच सौंपते हुए मुझे आनंद और गर्व हो रहा है.

 

 

उन्होंने कहा कि इसका लोकार्पण हम बलिया से कर रहे हैं. उम्मीद है कि हम केदार जी के बहुत सारे पहलू को इस पत्रिका के माध्यम से जानेंगे और समझेंगे. इसमें हिंदी के महत्वपूर्ण लेखकों और कवियों के लेख और विचार हैं.

गोष्ठी के विशिष्ट अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. आशीष त्रिपाठी ने कहा कि केदारनाथ सिंह की कविताएं एक नया मानक स्थापित करती हैं. इसे हम केदार रंग कह सकते हैं.

हिंदी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि केदारनाथ सिंह की कविताओं में लोक मौजूद है और यह लोक बाह्य ही नहीं बल्कि आंतरिक रूप में भी मौजूद है. केदार जी भावनात्मक रूप से अपने लोगों से जुड़े रहे. यह उनकी कविताओं में दिखता है.

 

 

बतौर मुख्य वक्ता दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के प्रो. अनिल राय ने कहा कि केदार जी यथार्थवाद के कवि थे, प्रतिरोध के कवि थे और यह प्रतिरोध उनकी कविताओं में विभिन्न रूप में मिलता है.

मुख्य वक्ता काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बलराज पांडे ने कहा कि केदार जी का व्यक्तित्व ही था की कि उन्हें हिंदी समाज ने इतना प्रेम किया. वह जितने बड़े कवि थे उतना ही बड़ा उनका व्यक्तित्व भी था. दुनिया में कहीं भी जाते, लेकिन उनकी अंतरात्मा में चकिया और बलिया हमेशा मौजूद रहता था.

केदार जी मानवीय संवेदना के कवि थे. उन्होंने अपने समय की नब्ज़ पकड़ी थी. भले ही उनकी कविताएं छोटी होती हैं लेकिन उनका कैनवास बहुत बड़ा है.

 

 

गोष्ठी में प्रोफेसर राजेश मल्ल और डॉ. सिद्धार्थ ने भी वक्तव्य दिये. अध्यक्षता कवि-साहित्यकार प्रोफेसर यशवंत सिंह ने किया. संचालन डॉ. जैनेंद्र पांडेय और कॉलेज के प्रबंधक राकेश श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया. हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. अमरदास निहार ने आभार व्यक्त किया.

इस अवसर पर कालेज के प्राचार्य डॉ. दिलीप श्रीवास्तव, डॉ. अखिलेश राय, डॉ. निशा राघव, बृजेश त्यागी, अजय बिहारी पाठक, डॉ. निवेदिता, अजय पांडे, समीर पांडे, शिवजी पांडे रसराज, डॉ. संतोष सिंह, राजेश सिंह, आशीष त्रिवेदी, सोनी, ट्विंकल गुप्ता, आनंद कुमार चौहान, अखिलेश कुमार, राहुल, अभिषेक, विवेक, विवेकानंद सिंह आदि उपस्थित रहे.