ऊर्जा मंत्री की गिरफ्तारी क्यों नहीं : रामगोविन्द

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बलिया : विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि बिजली कर्मचारियों के पीएफ के तकरीबन 2268 करोड़ रुपये की लूट के मामले में यूपी के ऊर्जा मंत्री, पावर कारपोरेशन के चेयरमैन और संबंधित प्रमुख सचिव ऊर्जा अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं हुए.

चौधरी ने कहा कि इसका जवाब अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देना चाहिए. प्रदेश की जनता यह जानना चाहती है कि किसके आदेश से यह धन एक डूबी कंपनी को ट्रांसफर किया गया.

उन्होंने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि करीब 2268 करोड़ की हेराफेरी में शामिल लोगों के जरिए जनता को गुमराह नहीं करना चाहिए. उन्हें यह बताना चाहिए कि उक्त कंपनी को किन तारीखों में रकम ट्रांसफर की गयी. उस दौरान ऊर्जा मंत्री, चेयरमैन और ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव कौन थे.

चौधरी ने कहा कि सरकार को हाईकोर्ट के वर्तमान जज द्वारा लूट की जांच कराने और इसमें शामिल किसी दोषी को नहीं बख्शे जाने की घोषणा भी करनी चाहिए. जवाब न देने पर मुख्यमंत्री पर ही उंगलियां उठेंगी. इसे गंभीर अपराध बता उन्होंने कहा कि सीएम की चुप्पी अनुचित है. सीएम की अगर कोई मजबूरी है तो उन्हें यह भी सार्वजनिक करना चाहिए.

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ऊर्जा मंत्री, यूपीपीसीएल के चेयरमैन और संबंधित प्रमुख सचिव ऊर्जा को भी आत्मसमर्पण कर देना चाहिए. यह भी बताना चाहिए कि रकम उक्त कंपनी को क्यों दी गयी. वे कर्मचारियों के पैसे सुरक्षित होने की बात कह रहे हैं. अखिलेश सरकार पर आरोप पर कहा कि 11मार्च 2017 को इस्तीफा दे दिया था और 14 मार्च को विधानसभा गठित हुई.

योगी सरकार के शपथ लेने के दिन 19 मार्च को ही श्रीकांत शर्मा ने मंत्री पद की शपथ ली. बोर्ड की बैठक 25 मार्च को हुई तो सपा सरकार कैसे जिम्मेदार हो सकती है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को इस बात का भी जवाब देना चाहिए कि एक डूबी कंपनी के हाथों में गया पैसा कैसे सुरक्षित है.