रामप्रवेश शास्त्री के निधन से साहित्य जगत मर्माहत

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‘तितलौकी’ से प्रारम्भ कर की एक दर्जन पुस्तकों की रचना
दुबहड़(बलिया)। उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त अनेकानेक साहित्यिक, संस्थानों द्वारा सम्मानित पं.रामप्रवेश शास्त्री का जन्म अपने नाना के घर जनाड़ी बलिया में हुआ था. पिता महातम राय सोहांव के वे एकलौती संतान थे. आपका पालन-पोषण वैभव सम्पन्न गंवई तौर-तरीके से हुआ था. किंतु ग्रामीण गतिविधियों के बीच मिली आजादी के साथ जद्दोजहद का जो असर हुआ, उसका प्रतिफल ही था कि गांधीवादी व्यवस्था ने उन्हें सामाजिक और साहित्यिक संत के रूप में तब्दील कर दिया. माने तो आपके ऊपर गांधी, विनोबा और जयप्रकाश का पूरा-पूरा प्रभाव रहा है.
वैसे साहित्यिक अवदान की दृष्टि से ‘तितलौकी’ हास्य-व्यंग्य उनकी रचनाओं की प्रथम कृति है. जिसकी भूमिका आचार्य सीताराम चतुर्वेदी ने लिखी थी.

संतों के जीवन से संबंधित ‘यह तो घर है प्रेम का’ की भूमिका निरंजन सूरिदेव ने लिखी थी. जो काफी चर्चित हुई. सत्य हरिश्चंद्र, सहज सुकाव्य है, सत्य पथ, महात्मा गांधी से सम्बंधित चरित काव्य है. जिसे कवि ने आधुनिक परिवेश में देखने की कोशिश की है. सुब्बा राव और आंचलिक साहित्य के शीर्ष कथाकार डा.विवेकी राय ने इस ग्रंथ को सर्वजन हिताय माना था. सत्याग्रह गाथा गांधी के जीवन वृत्त पर आधारित आधुनिक महाकाव्यों की कतार का सुव्यवस्थित महाकाव्य है. पानी में मीन पियासी ललित निबंधों का संकलन है. बांह गहे की लाज, सम्पूर्ण क्रांति, बाबा विनोबा, आत्म दर्शन, आसन से मत डोल आदि आपकी महत्वपूर्ण कृतियां है. आपको केन्द्र में रखकर कई शोधार्थियों ने शोध भी प्रस्तुत किये है.
सच्चाई है कि आप पर भारतीय संतों का विशेष प्रभाव रहा है. इधर आप कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे.

साॅस रोग के चलते आप इलाज हेतु लखनऊ आवास पर आपने लड़के के साथ जीवन व्यतीत कर रहे थे. किंतु काल की निष्ठुर गति ने हमसे छीन लिया. लब्ध प्रतिष्ठ रचनाकार के निधन से साहित्य जगत मर्माहत है. आनन-फानन में रचनाकारों डा. रघुवंशमणि पाठक, डा.शत्रुध्न पाण्डेय, डा.राजेन्द्र भारती, चंद्रभूषण पाण्डेय, राजेन्द्र पाण्डेय, डा.जनार्दन राय, डा.करूणेश पाण्डेय, प्रो.जयप्रकाश पाण्डेय, शिवजी पाण्डेय रसराज, कुमार मदन, देव कुमार सिंह ने दिवंगत रचनाकार को भावभीनी श्रद्धांजलि दी.
शास्त्री जी अपने पीछे पत्नी लीलाजी के अतिरिक्त पुत्र पौत्रों और पौत्रियों तथा परिवारिकजनों राकेश, अखिलेश, करूणेश, हिमांशु, शितांशु, देवांशु, दिव्या, मौली से युक्त भरा पूरा परिवार छोड़ गये है। इस दुःखद स्थिति में साहित्यकारों और मित्रों का परिवार, ईश्वर से अभ्यर्थना करता है कि प्रभु सहन शक्ति को सुदृढ़ बनावे ताकि परिवार का आत्मबल मजबूत हो। आत्मशांति हेतु दो मिनट का मौन रखकर अभ्यर्थना की गयी।