जल जमाव एवं बाढ़ से मुक्ति दिलाने हेतु बना था कटहल नाला

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

बलिया की ऐतिहासिक व भौगोलिक विरासत कटहल नाला(कष्टहर नाला) पर भूगोलविद डा. गणेश पाठक की प्रस्तुति

कटहल नाला जिसका वास्तविक पुराना नाम कष्टहर नाला है, अर्थात कष्ट को हरने वाला नाला। वास्तव में कटहल नाला का निर्माण जल जमाव एवं बाढ़ से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से कराया गया था.

http://https://youtu.be/oEuwWZpVSh4

प्राचीन काल में जब गंगा नदी शंकरपुर एवं बालखण्डीनाथ के स्थान से होते हुए सुरहा ताल क्षेत्र से होकर आगे पूरब दिशा में मुड़कर दह रेवती के पास घाघरा से मिलती थी. कुछ वर्षों पश्चात जब गंगा नदी का मार्ग परिवर्तित हुआ, तो सुरहा ताल एक छाड़न के रूप में प्राकृतिक ताल का रूप ग्रहण कर लिया. कालान्तर में जब इस ताल में विभिन्न क्षेत्रों से आने वाला जल एकत्रित होने लगा तो जल जमाव की स्थिति उत्पन्न होने लगी. इसी दौरान एक श्राप वश जब नेपाल नरेश राजा सुरथ का राज पाट छिन गया और वे कोढ़ी हो गये तो भ्रमण करते हुए इस क्षेत्र में आए और सुरहा ताल क्षेत्र की रमणीयता को देखकर इस क्षेत्र में रहने लगे तथा सुरहा के जल में स्नान करने लगे एवं मिट्टी का अपने शरीर में लेपन करने लगे. जिससे वे पूर्णतः स्वस्थ हो गये और उनके मन में इस पवित्र क्षेत्र की तरफ आस्था जगी, फलत: राजा ने सुरहा ताल का उद्धार कराया. इसी लिए इस ताल का नाम राजा सुरथ के नाम पर “सुरथ” ताल बना जो बाद में अपभ्रंश होकर” सुरहा ताल” ताल हो गया.
राजा सुरथ ने देखा कि इस ताल में जल जमाव हो जाने से इस क्षेत्र के लोगों को कष्ट झेलना पड़ रहा है. उन्होंने गंगा के पुराने प्रवाह मार्ग की खुदाई कराके एक नाला का निर्माण कराया, जिसका नाम “कष्टहर नाला” पड़ा. जो बाद में अपभ्रंश होकर “कटहल नाला ” हो गया.

चूंकि यह नाला सुरहा क्षेत्र के अतिरिक्त जल जमाव को गंगा नदी की तरफ प्रवाहित कर देता है, एवं बाढ़ के समय गंगा में आए अतिरिक्त जल को सुरहा की तरफ प्रवाहित कर देता है. जिससे जलजमाव एवं बाढ़ दोनों के कष्ट से छुटकारा मिलता है. इसी लिए इसे कष्टहर या अपभ्रंश होकर कटहल नाला कहा जाता है.
किन्तु कष्ट इस बात का है कि वर्तमान समय में इतना महत्त्वपूर्ण कटहल नाला अपने अस्तित्व से जूझ रहा है. इस नाला में जगह जगह मलबा (गाद) सिल्ट भर जाने से इसका प्रवाह रूक सा गया है. साथ ही साथ इसके दोनों किनारों पर अधिकांश जगह अतिक्रमण कर लिया गया है. अत: आज आवश्यकता इस बात की है कि इस कटहल नाला से गाद की पूर्णतः सफाई कर इसे अतिक्रमण से मुक्त कराया जाय, ताकि यह नाला पुनः अपने नाम(कष्टहर) को चरितार्थ कर सके.