हम शिक्षा में वह अवसर पैदा करें जो देश के निर्माण में सहायक हो- प्रो. पराशर

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राष्ट्रीय एवं शिक्षा चुनौतियां एवं अवसर विषयक संगोष्ठी

रेवती (बलिया)। गोपाल जी स्नातकोत्तर महाविद्यालय रेवती के शिक्षा संकाय प्रांगण में राष्ट्रीय एवं शिक्षा चुनौतियां एवं अवसर नामक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम दिन का शुभारंभ नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति तथा मुख्य अतिथि प्रो. गौरी शंकर पराशर ने दीप प्रज्वलित कर किया. इस अवसर पर अपने सम्बोधन में बोले कि जीवन में वही व्यक्ति काम आता है, जिसे आप नहीं जानते. यही सच्ची राष्ट्रीयता है.

हम जो देते हैं हमें वही वापस मिलता है. ज्ञान आपको विनम्रता देता है. हम शिक्षा में वह अवसर पैदा करें जो देश के निर्माण में सहायक हो. अनेकता में एकता भारतीयता की पहचान है. यह ज्ञान की सदी है. हमें अपने अंदर के हम के त्याग सी सर्वस्व की प्राप्ति संभव है.

उन्होंने कहा कि शिक्षा को संस्कार से जोड़ना अति आवश्यक है. जिसकी कमियां देखने को मिल रही है. जैसे अभी हाल ही में आठवीं कक्षा का छात्र विद्यालय से छुट्टी पाने के लिए अपने ही सहपाठी की हत्या कर दिया था. ऐसी घटनाओं से हमें सबक लेना चाहिए.

चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के कुलपति प्रो. योगेंद्र सिंह ने बलिया की साहित्यिक राजनीतिक एवं क्रांति की चर्चा करते हुए कहा कि बलिया की मिट्टी चंदन स्वरूप है. जब-जब देश तथा संस्कृति या साहित्य को आवश्यकता पड़ी बलिया का अहम योगदान रहा. बलिया ने मंगल पाण्डेय, चित्तू पाण्डेय, 1974 में जयप्रकाश नारायण, हजारी प्रसाद द्विवेदी तथा शोषित,गरीब,मजलूमों के मसीहा के रूप में चंद्रशेखर को दिया.

कहा कि देश आजाद हुआ तब देश में मात्र 20 विश्व विश्वविद्यालय थे. लेकिन आज 750 से अधिक विश्वविद्यालय हैं. बावजूद इसके शिक्षा का क्षरण हो रहा है.जरूरत है शिक्षा के साथ-साथ संस्कार को जोड़ने की.

 

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ एजुकेशन फैकल्टी के डीन डॉ एके पाण्डेय ने कहा कि राज्य सर्वे वसु नाम को चरितार्थ करते हुए डॉ बाबा सहित देश की तमाम विभूतियों ने प्रलोभन से विरक्त रहते हुए देश की सेवा की है. लेकिन आज इसका क्षरण हो रहा है. जो चिन्ता का विषय है.

एसएस पीजी कॉलेज शाहजहांपुर की एसोसिएट प्रो०रत्ना गुप्ता ने कहा कि राष्ट्र एक संकल्पना है. यह एक विचार है. राष्ट्रीयता ही राष्ट्रभक्ति है. प्रेम एवं श्रद्धा के मिलन से भक्ति की उत्पत्ति होती है. जहां राष्ट्रभक्ति है वहां राष्ट्रहित और जहां राष्ट्रहित होगा वहां कल्याण होगा, और जहां कल्याण होगा वहां धर्म होगा. राष्ट्रीयता के मार्ग में धार्मिकता व जातीयता बाधाएं हैं, और इन से पार पाने के लिए शिक्षा को संस्कार तथा वेदों से जोड़ना होगा.

इससे पूर्व प्रबंधक अशोक कुमार श्रीवास्तव ने मुख्य अतिथि सहित अतिथियों का स्वागत माल्यार्पण करने के साथ ही अंगवस्त्रम, बुके तथा स्मृति चिन्ह देकर किया. कार्यक्रम की शुरुआत बीएड के छात्र पवन तिवारी ने शांति पाठ, शिखा एवं ज्योति पाण्डेय ने सरस्वती वंदना से ‘कोटि कोटि वंदन है अभिनंदन’ शिव छात्राओं ने दिव्या ममता गुलनार द्वारा कुल गीत प्रस्तुत किया गया.

मुख्य अतिथि ने कुलगीत का विमोचन किया इस अवसर पर प्राचार्य डॉक्टर साधना श्रीवास्तव, उमाशंकर मिश्र, रविंद्र सिंह, राकेश वर्मा, अजीत कुमार श्रीवास्तव, संतोष सिंह आदि रहे. अध्यक्षता प्रोफेसर गौरी शंकर पाराशर एवं संचालन मधुलिका यादव ने किया. शिक्षा संकाय प्रमुख संतोष यादव ने आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया.