जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं साहित्यकार ब्रह्माशंकर पांडेय, हालत चिंताजनक

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वाराणसी से सुरेश प्रताप

साहित्यकार ब्रह्मा शंकर पांडेय गंभीर रूप से बीमार हैं. उम्र लगभग 100 वर्ष. रेलवे के मंडलीय अस्पताल (कैंट) में भर्ती हैं. उनके भतीजे अमृत से सूचना मिलने पर शुक्रवार दोपहर में उन्हें देखने मैं भी अस्पताल पहुंच गया. पहली बार देखा एक साहित्यकार को जिंदगी और मौत से संघर्ष करते हुए.

पांडेय जी की पहली कविता ” सरस्वती ” में प्रकाशित हुई थी. अज्ञेय ने भी ‘नया प्रतीक’ में उनकी कविताएं प्रकाशित की थी. अज्ञेय जब भी वाराणसी आते थे, उनसे मिलने उनके लहरतारा स्थित घर जरूर जाते थे. उनके मित्रों में शमशेर बहादुर सिंह, त्रिलोचन, शिवकुमार मिश्र, रमेश कुंतल मेघ, प्रो. चन्द्रबली सिंह, विद्यानिवास मिश्र आदि प्रमुख साहित्कार थे.

पांडेय जी मूलत: बलिया जिले के नगवा गांव के रहने वाले थे. प्रेमचंद जब यहां रामकटोरा में प्रेस चलाते थे, तब उनसे मिलने वह अक्सर जाते थे. उनसे सम्बंधित कई स्मृतियों का पिछले दिनों उन्होंने जिक्र किया था. जिसके बारे में कभी और चर्चा करूंगा. उनके बड़े भाई अवधेश कुमार पांडेय आजाद हिंद फौज के संस्थापकों में से एक थे और छोटे भाई बासुदेव पांडेय सर्वोदय आन्दोलन से जुड़े थे.

डाॅक्टरों का कहना है कि उनकी हालत चिंताजनक है. सायंकाल डाॅक्टरों के सुझाव पर उन्हें लक्ष्मी हास्पिटल (कैंट) ले जाने की चर्चा चल रही थी. 1984 में वाराणसी में जनवादी लेखक संघ का सम्मेलन हुआ था, तब वह जलेस की जिला इकाई के अध्यक्ष थे. पांडेय जी रेलवे में नौकरी करते थे. रिटायर होने के बाद लहरतारा में उन्होंने घर बनवा लिया.