किसानों को दिए गये जैविक खेती करने के टिप्स

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बलिया। शहर के चन्द्रशेखरनगर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा आयोजित किसान प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन कार्यक्रम में किसानों को जैविक खेती करने के तरीके व इसके फायदे को बताया गया. साथ ही जैव उर्वरकों जैसे नील हरित शैवाल, ओजोला आदि को बनाने की विधि को भी दिखाया गया. कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद नीरज शेखर व कैबिनेट मंत्री नारद राय ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया.

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कार्यक्रम में रसायनिक खेती से होने वाले नुकसानों को भी बताया गया. कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि जैविक खेती की विधियों से हम कम खर्च में अच्छी पैदावार प्राप्त कर आर्थिक उन्नत कर सकेंगे. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नीरज शेखर ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में नवीन तकनीकों का उपयोग किसान वैज्ञानिकों के कहने पर ही किया और रसायनिक खेती को अपनाया. अब ये खतरे का प्रतीक बन गयी है, लिहाजा फिर जैविक खेती को अपनाकर स्वादयुक्त व सुपाच्य अन्न पैदा करने की जरूरत हो गयी है. केंद्र का अपेक्षित सहयोग नही होने के बावजूद हमारी प्रदेश सरकार ने कृषि व पशुपालन में अनेक बेहतरीन कार्य किया. आज सबसे ज्यादा दूध उत्पादन हमारे यूपी में हो रहा है. कृषि वैज्ञानिक किसानों तक पहुंचे. कृषि विभाग भी अपना कार्य और बेहतर तरीके से करें, ताकि किसानों को उन्नतशील बनाया जा सके. उन्होंने मंत्री श्री राय का धन्यवाद दिया जिन्होंने अपने विभाग को जिले में क्रियाशील बनाने का प्रयास किया. उन्होंने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधिकारियों से कहा कि हमारे यहां जो छात्र या कोई भी कुछ नया करता है तो उसकी प्रतिभा को अपनायें.

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि किसानों की तरक्की बिना देश का विकास सम्भव नही है. जैविक विधियों से किसान महंगी यूरिया, डीएपी आदि से छुटकारा पाएगा. साथ ही उसकी फसल भी अच्छी होगी. हमारा विभाग इस विधि को ज्यादे से ज्यादे किसानों तक पहुंचाने के लिए कार्य कर रहा है. यह भी कहा कि हमारे मुख्यमंत्री के प्रयास से प्रदेश में रिकार्डतोड़ दूध उत्पादन बढ़ा और पशुपालन को बढ़ावा मिला. जरूरी है कि कृषि विभाग इन सब जानकारियों को किसानों तक पहुंचाए. उन्होंने कहा कि प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में केंद्र सरकार की उपेक्षा के कारण पिछड़ा है. एक तरफ जहां अन्य प्रदेशों में नक्षत्रशाला व साईंस पार्क हर महानगरों में है, वहीं इतने बड़े प्रदेश यूपी में एक भी नही है. बलिया में प्रदेश की पहली नक्षत्रशाला व साईंस पार्क का निर्माण कराने की पहल मैने की. विशिष्ट अतिथि एमएलसी रविशंकर सिंह पप्पू ने भी किसानों के विकास के लिए अपने जरूरी सुझाव दिए.

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त निदेशक हुमा मुस्तफा ने कहा कि किसानों का विकास तभी और बेहतर होगा जब किसान स्वावलम्बी होगा. जैविक विधियों जैसे ओजोला, नील हरित शैवाल के प्रयोग से किसान महंगी यूरिया, डीएपी आदि से छुटकारा पाएगा. साथ ही उसकी उपज भी स्वाद से भरी व सुपाच्ये अच्छी होगी. कार्यक्रम में संयुक्त निदेशक एसएम प्रसाद, कृषि वैज्ञानिक वेदप्रकाश सिंह, टीडी कालेज के रसायन व मृदा विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ.अशोक सिंह ने भी जैविक खेती के जरूरी टिप्स किसानों को दिए.

विज्ञान छात्र सम्मान‘ में मेधावियों को किया सम्मानित

बलिया में विज्ञान छात्र सम्मान समारोह में 30 मेधाधियों को कैबिनेट मंत्री नारद राय व राज्यसभा सांसद नीरज शेखर ने सम्मानित किया. इण्टरमीडिएट के 02 मेधावी को दो हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि तथा प्रशस्ति पत्र तथा हाईस्कूल के 28 मेधावियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. सांसद नीरज शेखर ने कहा कि प्रदेश सरकार हमेशा से मेधावियो को प्रोत्साहित करती रही है. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री नारद राय ने कहा कि अगली बार से हाईस्कूल के छात्रों को प्रोत्साहन राशि देने की व्यवस्था की जाएगी. संचालन जिला विज्ञान क्लब के रजनीकांत ने किया.

प्रगतिशील 100 किसानों को ‘टिश्यू कल्चर विधि‘ से बने पौधे, बताये गये इसके लाभ

किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम में ‘टिश्यू कल्चर विधि‘ द्वारा बने पौधे लगाकर किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं. विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी परिषद एवं हिंदुस्तान बायो एनर्जी लिमिटेड द्वारा टिश्यू कल्चर विधि से फिलहाल केले के पौधे बनाये गये है. इसे लगाने से लागत से ढ़ाई से तीन गुना कमाई किसान कर सकता है. फिलहाल यह पौधे लखनऊ के सीतापुर रोड पर स्थित बख्शी का तालाब पर ही उपलब्ध है. यह पौधे बलिया के 30 उन्नतशील किसानों को निःशुल्क दिया गया.

प्रदर्शन कर नील हरित शैवाल व ओजोला के प्रयोग से बताये गये लाभ

किसान प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री नारद राय व राज्यसभा सांसद नीरज शेखर की उपस्थिति में हजारों किसानों के सामने जैव उर्वरक ‘नील हरित शैवाल‘ व ओजोला का प्रदर्शन किया गया. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधिकारी ने विधिवत किसानों को इसे बनाने की विधि को दिखाया. किसानों ने भी काफी उत्साहित होकर इसके बारे में अपने शंका कहा कि इसके प्रयोग से कम खर्च में आपकी खेती बेहतर होगी. यूरिया व डीएपी की जरूरत ही किसान को नही पड़ेगी. बताया कि साढ़े 12 किलोग्राम नील हरित शैवाल 30 किग्रा नाइट्रोजन देती है, जो 66 किग्रा यूरिया की बचत करता है. कैसे इसका उत्पादन होगा, इसके बारे में ही किसानों को बताया गया.