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अयोध्या। भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में सरयू के तट पर शनिवार से 35वें रामायण मेला का शुभारंभ हुआ. चार दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक आयोजन में देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु सरयू के तट पर पहुंचें. इस अवसर सरयू के तट पर रामलीला और विभिन्न संस्था द्वारा धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होते हैं. मेले का उद्घाटन विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने किया. वहीं मेले पर समापन पर राज्य के राज्यपाल राम नाईक आएंगे.
इस मौके पर उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने समाज के कमजोर तबके को सहारा देने की जरूरत बताते हुए कहा कि इससे पूरे समाज का विकास होगा. श्री पाण्डेय ने आज यहां 35वें रामायण मेले का शुभारम्भ करते हुए कहा कि राम हमारे आदर्श हैं. अयोध्या नगरी सांस्कृतिक केन्द्र है. आज दुनिया भर में अयोध्या की बात होती है और हर किसी के हृदय में समाहित है. समाज के हर वर्ग के विकास के लिये भगवान राम के आदर्शों पर चलना होगा. उन्होंने कहा कि समाज के कमजोर तबके को सहारा देने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि आज भारतवर्ष भी वैश्विक संस्कृति से अछूता नहीं है. एक समय जहां प्रत्येक घरों में गीता, रामायण व महाभारत की पुस्तकें रहा करती थीं, आज घरों से वही धार्मिक पुस्तकें देखने को नहीं मिलती है. इण्डोनेशिया, थाईलैण्ड आदि देशों में राम को लोग मानने वाले रहे हैं. वहां के महलों में राम, सीता भरत के चित्र विद्यमान हैं. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि रामलीला से अशिक्षित लोगों को राम के बारे में समझाया जाता था लेकिन आज रामलीलाएं समाप्त हो रही हैं, जो बड़े दु:ख की बात है. रामायण मेला हमारे संस्कृति का आधार है, जिसको हम लोग प्रत्येक वर्ष सरयू तट के किनारे रामायण मेला करते आ रहे हैं.
80 के दशक में हुई इसकी शुरुआत
- इस मेले की कल्पना समाजवादी चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया ने 1961 में की थी. मेले का आयोजन पहली बार 1973 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने चित्रकूट में रामायण मेला आयोजित किया.
- हालांकि अयोध्या में इसकी शुरूआत 1982 में में हो पाई. मेले का आयोजन शुरू होते ही इसकी प्रसिद्धि चारों और फैल गई.
- रामायण मेले प्रदेश में दो जगहों चित्रकूट और अयोध्या में आयोजित किया जाता है, लेकिन 80 के दशक में शुरू हुआ अयोध्या रामायण मेला ज्यादा प्रसिद्ध हो गया.
ये होंगे मेले के मुख्य आकर्षण
- उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग इस मौके पर चारों दिनों में विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करवाएगा. मेले में पहले दो दिन श्री धनुषधारी अवध आदर्श रामलीला मंडली अयोध्या और श्रीसाकेत आदर्श रामलीला मंडल अयोध्या की ओर से रामलीला मंचन किया जाएगा.
- तीन दिसम्बर को इलाहाबाद की पूर्णिमा की ओर से ढिंढिया लोकनृत्य प्रस्तुत किया जाएगा.
- चार दिसम्बर को रचना तिवारी की ओर से बधाई नौरता लोकनृत्य, डॉ. मालविका की ओर से अवधी लोक गायन की प्रस्तुति एवं गोरखपुर के मनोज मिहिर की ओर से भोजपुरी गायन प्रस्तुत होगा.
- पांच दिसम्बर को पारसनाथ यादव का बिरहा गायन, रामसहाय पाण्डेय का राई लोकनृत्य, वंदना मिश्र का रघुवीरा अवधी गायन और 6 को घूमर लोकनृत्य का आयोजन किया जाएगा.