ये इश्क नहीं आसां – बहन के हाथ-पांव बांध उफनती गंगा में फेंका!

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आखिरकार जिंदगी की जंग हार गई तिस्ता शांडिल्य

अपनी आवाज़ के बल पर काफी कम उम्र में भोजपुरिया समाज व भोजपुरी संगीत जगत में पहचान बनानी वाली, सबको मोहित कर देनी वाली 17 वर्षीय भोजपुरी कलाकार तीस्ता शांडिल्य आखिरकार ज़िन्दगी की जंग हार गई. दुआ के लिए उठे हजारों हाथ भी उसकी जिंदगी को नहीं लौटा सके. परिजनों व शुभचिंतकों की प्रार्थना नहीं काम आई.

वीर कुंवर सिंह की गाथा से अलग पहचान बनाने वाली तिस्ता सिंह की हालत गंभीर

यह तिस्ता है. तिस्ता सिंह. छपरा की रहनेवाली. कम उम्र में ही सधी हुई कलाकार. अपने बड़े भाई तुल्य, बिहार के चर्चित कलाकार उदय नारायण सिंह की बिटिया. पटना एम्स में भर्ती है. बीमारी यह थी कि इसका बुखार जा नहीं रहा था.

जब बुजुर्ग कुंवर सिंह ने संभाली जंग ए मैदान की कमान

बिहार में दानापुर के क्रांतकारियों ने भी 25 जुलाई सन 1857 को विद्रोह कर दिया और आरा पर अधिकार प्राप्त कर लिया. इन क्रांतकारियों का नेतृत्व कर रहे थे वीर कुंवर सिंह. वह बिहार राज्य में स्थित जगदीशपुर के जमींदार थे.

अनुभूति शाण्डिल्य ‘तिस्ता’ – वीर कुंवर सिंह की गाथा से ही बना ली अलग पहचान

सारण रिविलगंज की युवा कलाकार तिस्ता ने गायन के क्षेत्र में इतनी कम उम्र में ही निपुणता हासिल कर ली है. साथ ही वीर गाथाओं के उत्कृष्ट प्रदर्शन से लगातार अपने करियर को एक नया आयाम दे रही हैं.

बाबू वीर कुंवर सिंह शौर्य स्मारक निर्माण के लिए मुड़िकटवा में भूमि पूजन

कुशहर ग्राम सभा स्थित वीरवर बाबू कुंवर सिंह की रणस्थली के मूक गवाह मुड़िकटवा में शनिवार के दिन शौर्य दिवस मनाया गया. झण्डारोहण ओम प्रकाश तिवारी ने किया.