लाचारी नहीं, लाचारों के लिए रास्ता थे गांधी

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गांधी को या तो समझा नहीं गया या पूरी समझदारी के साथ उनकी उपेक्षा की गयी. इस कार्य में उनके समर्थक भी बराबर के भागीदार हैं.