‘औरत की मर्ज़ी’ के जरिए महिलाओं की पसंद को सशक्त बनाने का संदेश

प्रचलित सामाजिक मानदंडों के तहत महिलाओं के पास प्रजनन निर्णय नहीं होते हैं. परिवार और समाज के भीतर रवैये में बदलाव महिलाओं के फैसलों में समान महत्व देगा.