जानिए क्या है महर्षि भृगु के पुत्र विश्वकर्मा का बलिया कनेक्शन

महर्षि भृगु का जन्म 5000 ईसा पूर्व ब्रह्मलोक-सुषा नगर (वर्तमान ईरान) में हुआ था. इनके परदादा का नाम मरीचि ऋषि था. दादाजी का नाम कश्यप ऋषि, दादी का नाम अदिति था.

लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भृगु की तपोभूमि पर स्नान का काफी महत्व होता हैं. गंगा और तमसा के इस पावन संगम पर सोमवार को लाखों की संख्या में श्रद्धालुओ ने गंगा में डुबकी लगाई. बांसडीह क्षेत्र से भारी संख्या में श्रध्दालु भी इस पावन स्थल पर स्नान करने के लिए देर शाम से बसों व अन्य साधन से बलिया के लिए रवाना हुए

जाने क्यों है कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का महत्व

आज का कार्तिक पूर्णिमा का सृष्टि के आरंभ से ही इस तिथि का खास महत्व रहा है. सिर्फ वैष्णवों और शैवों के लिए ही नहीं, वरन सिखों और जैनियों के लिए भी. अभी आपने देवोत्थानी एकादशी मनाई थी. उस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागे थे. कहते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन उन्होंने पालनकर्ता के रूप में अपनी पूरी जिम्मेदारी उठा ली थी.

भृगु बाबा के जयकारे के साथ आधी रात को शुरू हुआ कतकी नहान

कार्तिक पूर्णिमा का पवित्र स्नान रविवार और सोमवार की दरम्यानी आधी रात प्रारंभ हो गया. भृगु बाबा के जयकारे के साथ श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया. इसके बाद सीधे जिला मुख्यालय स्थित भृगु आश्रम पहुंचे और धूप दीप नैवेद्य के साथ जलाभिषेक किया. बाबा की आरती के लिए भारी संख्या में महिलाएं मंदिर पर मौजूद रहीं. इस मौके पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे.

गंगा की महाआरती में शामिल हुए हजारों श्रद्धालु

गंगा भक्त राम दल द्वारा शुक्रवार को नदी के तट गंगा मंदिर घाट पर गंगा की महाआरती आयोजित की गई. इसमें प्रसिद्ध संत मौनी बाबा गोपालदास भरत उपाध्याय आदि संत मौजूद रहे. गंगा आरती काशी के विद्वान नमामि शंकर तथा मथुरा व हरिद्वार के विद्वानों ने संपन्न कराया गया.

गर्ग मुनि के आश्रम पहुंची भृगु क्षेत्र की पंचकोशी यात्रा

राजा बलिकृत यज्ञ से पवित्रित बलिया की धरती पर परम पूज्य श्री खाकी बाबा द्वारा परवर्तित भृर्गु क्षेत्र की पंचकोशी यात्रा अनंत पुण्यदायिनी तथा अभिष्ट फलदायिनी है. सैकड़ों वर्षों से अपने इतिहास को समेटे यह यात्रा भक्तों की सभी अलौकिक परलौकिक फलों की पूर्ति सर्वदा करती आई है.