देश भक्ति के नारों के बीच फिर खुला बलिया जिला कारागार का फाटक

चित्तू पांडेय, महानन्द मिश्र और अन्य विभूतियों की स्मृतियों को नमन करते हुए गूंजा वंदेमातरम

देश शहीद सेनानियों के ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकता – रामविचार पांडेय

बांसडीह डाक बंगला पर स्थित शहीद पंडित रामदहीन ओझा की प्रतिमा पर माल्यापर्ण

बैरिया बलिदान दिवस – वीर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर धन्य हुआ द्वाबा

अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले लोगों का ताता लगा

लोकतंत्र की पहली पाठशाला बैरिया, जाति-धर्म भूल कर एकजुट हो वीरों ने दी थी आहुति

18 अगस्त 1942 को ही हो गया था आजाद, द्वाबावासियों के लिए गौरव का दिन

बैरिया बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर शहीद महानायकों का भावपूर्ण स्मरण

अगस्त क्रांति 1942 की स्मृति में शहीदों को नमन करते हुए दीप प्रज्वलित किया

9 को बलिया के स्वतंत्रता सेनानी राम विचार पांडेय को सम्मानित करेंगे राष्ट्रपति

भारत छोड़ो आंदोलन की स्मृति में नौ अगस्त को ‘राष्ट्रपति भवन’ में आयोजित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविद वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सम्मानित करेंगे.

1942 में आज ही के दिन अंग्रेजों को भारत से उखाड़ फेंकने की शुरुआत हुई थी – राधिका मिश्र

1942 की अगस्त क्रान्ति की स्वर्णिम 75वीं वर्षगाठ पर अखिल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन ने शहीद पार्क चौक से अगस्त क्रांति उत्सव का शुभारम्भ किया.

सुखपुरा में उन्हें याद किया गया जो लौट के घर न आए

23 अगस्त को सुखपुरा कस्बा स्थित शहीद स्मारक पर झण्डातोलन कर पुष्पाजंलि अर्पित की गई. स्मारक समीति के अध्यक्ष महाबीर प्रसाद ने झण्डा फहराया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शहीदों का सपना देश को गुलामी से मुक्त कर स्वर्णिम भारत का निर्माण करना हैं.

23 अगस्तः सुखपुरा में भी क्रांतिकारियों की फौज खड़ी थी

अगस्त क्रांति 1942 मे बलिया के लोग आजादी पाने के लिए अग्रेजी हूकुमत से लड़ रहे थे. सुखपुरा मे भी क्रांतिकारियों की फौज खड़ी थी. बलिया के तरफ जा रहे पांच सिपाहियों का बंदूक 18 अगस्त को सुखपुरा में क्रांतिकारियों ने छीन लिया.

जूनियर वर्ग में उपेन्द्र व सीनियर वर्ग में मनीष ने मारी बाजी

बलिया बलिदान दिवस के अवसर पर शुक्रवार को जिला एथलेटिक एसोसिएशन बलिया एवं कम्युनिस्ट अवेयरनेस रिसर्च एण्ड एजुकेशन सोसाइटी के तत्तावधान में एक सद्भावना दौड़ का आयोजन छाता क्रासिंग के दवनी फील्ड तक सम्पन्न हुआ.

19 अगस्त 1942, आज ही के दिन बलिया हुआ था स्वाधीन

बैरिया मैं तिरंगा फहराने तथा पुलिस फायरिंग में भारी संख्या में लोगों के शहीद होने के बाद जहां ब्रिटिश हुकूमत घबरा गई थी, वहीं पर बलिया के बच्चे, बूढ़े, जवान सभी में अंग्रेजी सरकार के खिलाफ बगावत कूट-कूट कर भर गया था.

जब घायल हुआ हिमालय, खतरे में पड़ी आजादी

गुरुवार को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संगठन की अध्यक्षा राधिका मिश्रा के नेतृत्व में शहीद श्रद्धांजलि यात्रा को हरी झंडी दिखाकर अपर जिलाधिकारी मनोज सिंघल ने बैरिया के लिए रवाना किया.

जिला कारागार से आज निकलेगा जुलूस

19 अगस्त 1942 को ही स्वतंत्र होने का बलिया को गौरव प्राप्त है. 3 दिन आजाद रहने तथा चित्तू पांडेय की समानांतर सरकार चलने के बाद अंग्रेजों ने पुनः बलिया पर कब्ज़ा कर लिया था.

जॉर्ज पंचम की ताजपोशी के विरोध में निकला महावीरी झंडा जुलूस

जंगे आजादी में युवाओं के योगदान, छात्र शक्ति राष्ट्र शक्ति की बानगी है बलिया का महावीरी झंडा जुलूस. ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर पांडुलिपि संरक्षण मिशन के जिला समन्वयक शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि ब्रितानी गुलामी के अमंगल को मिटाने के लिए प्रथम बलिदानी मंगल पांडेय की धरती पर उनकी बगावत के 52 साल बाद जॉर्ज पंचम की ताजपोशी के विरोध में महावीरी झंडा जुलूस की शुरुआत हुई थी.

18 अगस्त 1942, बैरिया में कौशल किशोर सिंह ने फहराया था तिरंगा

बैरिया थाने पर कब्जा करने की नीयत से बलिया के कोने-कोने से हजारों लोगों का हुजूम इकट्ठा हुआ. सबसे पहले बैरिया थाने पर लोग टूट पड़े और घुड़साल को लोगों ने जमींदोज कर दिया. इस घटना से भड़की ब्रिटिश पुलिस ने भीड़ पर गोलियों की बौछार कर दी. नारायणगढ़ निवासी युवा कौशल किशोर सिंह बैरिया थाने पर तिरंगा फहराते हुए पुलिस की गोली से शहीद हो गए.

लोहापट्टी में नारेबाजी करती महिलाएं गिरफ्तार कर ली गईं

1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 16 अगस्त 1942 को बलिया में महिलाओं ने मोर्चा संभाल लिया था. बलिया शहर में धारा 144 को तोड़ने के लिए महिलाओं ने भारी तादाद में इकट्ठी हो जुलूस निकाला.

15 अगस्त 1942 को ही बलिया में फहराया गया था तिरंगा

अन्याय, अत्याचार, जुल्म के खिलाफ संघर्ष के लिए जाना जाता रहा है बलिया. ब्रिटिश हुकूमत की शक्तियों की बिना परवाह किए 15 अगस्त 1942 को ही यहां जगह जगह तिरंगा फहरा दिया गया था. 15 अगस्त 1942 को ही ब्रिटिश हुकूमत के यूनियन जैक में आग लगाकर जगह जगह तिरगा लहराया गया था.

13 अगस्त 1942, महिलाओं ने संभाला था मोर्चा

जब ब्रिटिश हुकूमत ने बलिया में स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ रहे लोगों पर कहर ढाना शुरू किया तो 13 अगस्त 1942 को महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. महिलाएं बलिया चौक में एकत्रित हुईं और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

अब भी बलिया के युवकों में बयालीस का खून उबलता है

महात्मा गांधी के अंग्रेजों भारत छोड़ो नारे का प्रभाव बलिया में बढ़ता जा रहा था, न केवल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, बल्कि विद्यार्थी एवं महिलाएं भी इस आंदोलन में कूद पड़ी थी.