भटके युवा सिर्फ कश्मीर में नहीं… हमारे आपके इर्द गिर्द भी हैं

तुम्हारी दो कौड़ी की राजनीति और झंडा ढोने ने तुम्हारे पिता की हड्डियों को गला दिया, कल परिवार इस उम्मीद में था कि तुम पढ़ लिखकर दो पैसा लाते और बहन की शादी में पिता का सहयोग करते पर तुम सहयोग कहा से करते तुमने तो अपने खर्चे से उन्हें कर्ज में डाल दिया.