अगर आज चूक गए तो फिर साल भर बाद ही मिलेगा ऐसा मौका

आज के दिन जो भी व्यक्ति रावण की पूजा करता है, उसे विद्या और पराक्रम दोनों एक साथ मिल जाता है.

घोड़हरा में तनाव तो है, मगर हालात नियंत्रण में

दुबहर थाना क्षेत्र अंतर्गत घोड़हरा गांव में बुधवार की रात दुर्गा प्रतिमा विसर्जन तथा मोहर्रम की ताजिया को लेकर हुए विवाद में बृहस्पतिवार को भी दोनों संप्रदायों में तनाव बना रहा. वैसे भारी पुलिस बल की तैनाती के कारण स्थिति नियंत्रण में है.

रेवती में विसर्जन जुलूस में बवाल और फायरिंग

दुर्गा विसर्जन जुलूस में अचानक हुए बवाल एवं फायरिंग में घायल तीन युवकों को जिलाचिकित्सालय द्वारा वाराणसी रेफर कर दिया गया. पेट में गोली लगने से घायल एक युवक की हालत नाजुक बनी हुई है. वहीं पैर में गोली लगने व सिर में चोट लगने से घायल दो अन्य युवकों का उपचार भी वाराणसी में चल रहा है.

अब केशरिया शाफा बांध निकले रानीगंज के दुलरुआ

रानीगंज में बड़ी दुर्गाजी का विसर्जन जुलूस नाचते गाते, जयकारा लगाते निकल चुका है. तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार रानीगंज, भीखाछपरा, भरतछपरा, कोटवा का ताजिया जुलूस निर्धारित समय से पहले निकला.

रानीगंज ने फिर कर दिया दंग, या हुसेन-जय मां दुर्गे संग-संग

बुधवार को बलिया के फ्रीडम फ्लेवर वाले रानीगंज के दुर्गोत्सव ने फिर कर दिया दंग. या हुसैन की मातमी गूंज के बीच मां दुर्गे के जयकारे लगे. खास बात यह भी है कि ताजिया के साथ चल रहे हरे ध्वज के बीच तिरंगा भी बड़े शान से लहराता दिखा. सच पूछिए तो यह भी एक किस्म की क्रांति ही है

गदकाः शक्ति के दरबार में शौर्य का प्रदर्शन

दलजीत टोला में शेर ए काली क्‍लब के द्धारा आयोजित दुर्गा पूजा में गदका एक विशेष कार्यक्रम है. शाम के समय डंके की गड़गड़ाहट पर एकम के दिन से ही जब बच्‍चों से लेकर बुजुर्ग तक गदका खेलने उतरते हैं तो उनके शौर्य को देखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ती है.

बिल्थरारोड में 70 फुट ऊंचा पंडाल मुख्य आकर्षण

शारदीय नवरात्र के सातवे दिन शनिवार को नगर व ग्रामीण क्षेत्रों मे स्थापित दुर्गापूजा पण्डालों मे मां दुर्गा के दर्शन के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा.

रानीगंज बाजार के दुर्गोत्सव में है फ्रीडम फ्लेवर

कई मायने में पूरे हिंदुस्तान के लिए नजीर है रानीगंज बाजार का दुर्गोत्सव. ठीक आजादी के साल हुई थी इसकी शुरुआत. यहां हिंदुओं ने दुर्गात्सव और मुसलमानों ने ताजिया रखकर मुहर्रम मनाने की शुरुआत ठीक उसी जगह साथ साथ की थी. और बीते 70 सालों से यह परम्परा जस की तस चली आ रही है. कई बार ऐसे मौके आए जब दोनों त्योहार साथ साथ पड़े. उसका भी समाधान यहां लोगों ने चुटकी में ढूंढ लिया.

बारिश ने किया दुर्गोत्सव का मजा किरकिरा

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दुर्गा मंत्रों से गूंज उठा जेपी का गांव

दलजीत टोला में वर्ष 1975 से शुरू दुर्गा पूजा का यह 42 वां वर्ष है. सप्‍तमी के दिन जैसे ही मां का पट खुला क्षेत्र भर के श्रद्धालु दर्शन को उमड़ पड़े. इसी दिन 101 दीप भी देवी दरबार में प्रज्‍जवलित किए गए. शेर ए काली क्‍लब द्धारा आयोजित इस पूजनोत्‍सव में इस बार खास आकर्षण पंडाल रहा.