समस्त विकारों को समझ शिष्य को आत्मतत्व को बोध कराता है गुरु

ब्रम्ह परमात्मा को छोड़कर ब्रह्मादिक पंच ब्रम्ह एवं समस्त लोक-लोकांतर नश्वर है. ब्रम्हा, विष्णु, रुद्र, महाविष्णु और सदाशिव सभी अपनी शतायु पूरी कर क्रमशः अपने कारण तत्व में लीन होते हैं. यह विचार है परीब्रजकाचार्य स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी का. 

परम ब्रह्म के दर्शन के लिए सर्वस्व न्योच्छावर करना पड़ता है

वेद वाणी को जिस परम ब्रम्ह परमात्मा का स्वरूप बताया गया है, उसे लौकिक मानव नहीं देख सकते. उस परम सत्ता का दर्शन तभी संभव है, जब हम पूर्ण रूप से गुरुदेव के शरणागत होकर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दें.

त्रिदोष का निवारण यज्ञ के दर्शन पूजन परिक्रमा से ही संभव है – स्वामी ईश्वर दास

जिस यज्ञ में सभी धर्म यहां तक की संपूर्ण विश्व ब्रह्मांड प्रतिष्ठित रहता है, उस यज्ञ की सफलता के निमित्त सभी देवी-देवता सहयोग करते हैं.

गुरु के शरणागत होने में ही भक्तों का कल्याण निहित है – स्वामी ईश्वरदास

गुरु की महिमा अपरंपार है. उसके शरणागत होने में ही भक्तों का कल्याण निहित है. यह विचार है श्री वनखंडी नाथ मठ डुहा बिहरा सेवा समिति के अध्यक्ष स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी का.

अद्वैत शिव शक्ति परमधाम डूंहा में गुरु पूजा महोत्सव 6 से

अद्वैत शिव शक्ति परमधाम डूंहा के प्रांगण में विशाल गुरु पूजा महोत्सव का आयोजन 6 से 9 जुलाई तक किया गया है.