जाति के आधार पर नहीं होगी थानों में तैनाती – एसपी

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बलिया। बहुचर्चित पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी का स्थानान्तरण जनपद के लोगों के लिए आश्चर्य का विषय नहीं था, क्योंकि उनकी सक्रियता से बहुत लोगों के कलेजे पर सांप लोट रहा था. चर्चा में उनके स्थानान्तरण की गूंज सुनाई दे रही थी. अन्ततः उनका स्थानान्तरण कानपुर देहात के लिए हो गया, लेकिन राहत की बात यह है कि श्री चौधरी की तरह ही तेवर वाले नया कप्तान वैभव कृष्ण के रूप में मिल गया है.

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जिले की जनता को पूरा विश्वास है कि वे पूर्व एसपी प्रभाकर चौधरी की बनाई हुई हनक को जिले में कायम रखने का प्रयास करेंगे. बुधवार को देर रात हुई प्रेसवार्ता में नवागत एसपी ने कड़े तेवर दिखाते हुए कहा कि निवर्तमान एसपी प्रभाकर  चौधरी हमारे बैच के थे. मैं उनकी कार्य प्रणाली से पूरी तरह परीचित हूं. उन्होने जनपद को अपराध एवं अपराधियों से मुक्त करने, नगर में जाम की समस्या को समाप्त करने, अवैध शराब एवं पशु तस्करी पर रोक लगाने के लिए जिस तरह की योजना पर काम कर रहे थे मैं उसे कायम रखूंगा.

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थानों में जातिगत  आधार पर होती रही नियुक्तियों  के परम्परा पर पूछे जाने पर एसपी ने कहा कि मैं जनपजाति दवासियों एवं नगरवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि जनपद के किसी भी थाने में जाति के आधार पर पुलिस कर्मियों की नियुक्ति नहीं की जाएगी. नवागत एसपी के तेवरों का पता  इसी से चलता है कि गुरुवार को कार्यभार ग्रहण करते ही उन्होने पुलिस कार्यालय तथा कोतवाली  का निरीक्षण किया. साथ ही गंगा उसपार शिवपुर दियर पुलिस चौकी का  भ्रमण कर पुलिस कर्मियों का उत्साह बढ़ाया. उसके पश्चात नगर में भ्रमण कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया.

नवागत एसपी वैभव कृष्ण मूल रूप से बागपत जिले के रहने वाले हैं. उन्होने बीटेक की डिग्री रूड़की से ली है साथ ही आईआरएस कैडर में भी इन्होने सफलता प्राप्त की. बी-टेक  करने के बाद प्राइवेट जॉब भी किया. 2009 में आईपीएस चुने गए तथा 2010 में उन्हें यूपी कैडर मिला. वे एसपी के रूप में गाजीपुर, मेरठ, तथा रेलवे में अपनी सेवायें प्रदान की. एसएसपी के रूप में बुलन्दशहर मे रहे. इसके पूर्व एसपी सिटी के रूप में सुल्तानपुर एवं मुराबाद में सेवायें दी. एएसपी के रूप में मेरठ व बुलन्दशहर में नियुक्त रहे.

अपने छः साल के कार्यकाल में बुलन्दशहर में हुए रेप काण्ड को लेकर उनके ऊपर कोई दाग नहीं लगा. वे एक तेज तर्रार और राजनीतिक दखल को नजर अंदाज करने वाले पुलिस अधीक्षक माने जाते है. गाजीपुर में हुई पहली पोस्टिंग के दौरान उन्होने प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री के करीबी को मर्डर के केस में जेल भेजवा दिया था. जिसके परिणाम स्वरूप मंत्री के इशारे पर उनका स्थानांतरण कर दिया गया था. उनके ट्रान्सफर के खिलाफ जनता सड़क पर उतर आई थी. जहां भी उनकी नियुक्ति हुई वहा अपराधों का ग्राफ कम हो गया था. उनके कार्यकाल में कई बड़ी घटनाओं का खुलासा हुआ और शातिर अपराधी जेल भेजे गये.