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जयप्रकाशनगर (बलिया) से लवकुश सिंह
लंबे समय बाद इस वर्ष जेपी जयंती के दिन दशहरा है. यह अवसर शायद ही कभी आया हो, जब जेपी जयंती और विजया दशमी एक सांथ दस्तक दी हो. जेपी का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को दशहरे के दिन ही हुआ था. इस वर्ष सब कुछ सेम-सेम है. हालांकि सिताबदियारा में अभी तक इसको लेकर कोई हलचल नहीं है. इस बार की जयंती का रूवरूप क्या होगा? इस पर भी अभी तक कोई बहस नहीं है.
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बता दें कि जेपी जयंती पर सिताबदियारा के लाला टोला में प्रतिवर्ष बड़ी सभाएं होती हैं. छपरा प्रशासन सरकारी तौर पर अपने तरीके से जेपी जयंती मनाता है, वहीं अलग-अलग दलों के लोग अपने तरीके से इसका आयोजन करते हैं. कभी यहां की जेपी जयंती भाजपा के हवाले होती है तो कभी जदयू यह बीड़ा उठाता है. वैसे यहां आयोजित सभाएं सार्वजनिक होती है, किंतु केवल नाम की. जेपी जयंती की आड़ में हर बार राजनीतिक तीर जम कर चले हैं. चाहे वह वर्ष 2011 की लालकृष्ण आडवाणी की जन चेतना यात्रा हो या उसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या अमित शाह आदि की सभाएं. इस वर्ष अभी तक कोई घोषणा नहीं होने से जेपी के गांव में हर दिन आपस में मंथन जारी है. लोग इस बात पर भी मंथन कर रहे हैं कि कहीं दशहरे की धूम में इस बार जेपी जयंती ही गुम न हो जाए. वजह कि इस बार जगह-जगह दशहरे का मेला, सड़कों पर पंडाल, घर-घर पूजा-पाठ और सरकारी तौर पर भी छुट्टी का दिन. ऐसे में 11 अक्टूबर जेपी जयंती के उत्सव पर कई तरह की चर्चाएं, यहां विराजमान है.
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जयाप्रभा प्रतिमा को भी है लोकार्पण का इंतजार
सिताबदियारा में जेपी के क्रांति मैदान चैनछपरा में ही जयप्रकाश नारायण और उनकी पत्नी प्रभावती देवी की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई है. यह दोनों प्रतिमाएं दो टन वजन में हैं, जिसे यहां गठित ट्रस्ट की ओर से जयपुर से मंगाया गया है. जेपी जयंती पर इसके लोकार्पण का भी इंतजार सभी को है. माना जा रहा है कि जेपी जयंती पर यहां शामिल विशिष्ट अतिथि के हाथों ही इसका भी लोकापर्ण होना है.
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