लोकनायक के गांव जवार वाले मामूली इलाज के भी मोहताज

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सिताबदियारा (बिहार) से लवकुश सिंह

LAVKUSH_SINGHमंगलवार को मुन्ना यादव की तबियत अचानक खराब हो गई. उसके युवा साथी उसे लेकर सिताबदियारा के छोटका बैजू टोला स्थित स्वास्थ्य केंद्र पर गए. वहां न कोई स्टाफ था, न कोई डॉक्टर. वह युवक पेट दर्द के मारे कराहे जा रहा था. उल्टियां भी हो रही थी. अस्पताल में जब कोई नहीं मिला तो युवक भड़क उठे और वहीं नारेबाजी करने लगे.

पेट दर्द से परेशान मुन्ना
पेट दर्द से परेशान मुन्ना

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युवाओं में दिलीप कुमार, हरेद्र यादव, बबलु कुमार, उमेश यादव, सोनू यादव, सुनील सिंह, राजन ठाकुर, उपेंद्र शर्मा, छोटू सिंह, कृष्णा बैठा, पंकज यादव आदि शामिल थे. उनकी भीड़ को नियंत्रित कर रहे विकास सिंह ने बताया कि यहां लगभग 25 हजार अबादी वाले पंचायत छोटका बैजू टोला में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अव्वल तो किसी पुरुष चिकित्सक की तैनाती नहीं है, एक महिला डॉक्टर हैं भी तो वह आयुर्वेद विशेषज्ञ हैं. यहां किसी के भी आने-जाने का भी कोई समय तय नहीं है.

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इस अस्पताल की दुर्दशा के बारे में लगभग सभी जनप्रतिनिधियों के यहां आवाज उठती रही है, किंतु हालात नहीं सुधरे. अस्पताल की स्थिति यह है कि यह कभी 11 बजे खुलता है तो एक बजे बंद भी हो जाता है. वहीं कभी सिर्फ टीकाकरण के लोग ही दिखाई देते हैं. इनकी मनमानी से मरीज परेशान होकर अपना उपचार किसी झोलाछाप से कराने को विवश हैं.

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सबसे खास बात यह है कि बाढ़ के बाद यहां कई तरह की बीमारियां फैली हैं. हर दिन असंख्य लोगों की तबियत खराब हो रही है, किंतु उनके उपचार के लिए कोई इंतजाम नहीं है. यहां गांवों में गंदगी का अंबार  है, किंतु दवा छिड़काव तक नहीं किया गया. लोग विभिन्नं रोगों से परेशान हैं, किंतु इसकी चिंता किसी को नहीं है. लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती करीब है. तब सभी यहां जेपी के नाम पर जुगाली करने पहुंच जाएंगे, किंतु उसी जेपी के गांव में उपचार की क्या व्यवस्था है, इस पर किसी का ध्यान नहीं है.

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24 घंटे सातों दिन….पूरी तरह से फ्लाप

इस अस्पताल में फरवरी 2014 में एक शिविर लगा था. तब यह घोषणा की गई थी कि संपूर्ण जिले में पहली बार 24 घंटे सातों दिन इस अस्पताल में इलाज की व्यवस्था होगी. इसके तहत इस अस्पताल पर 24 घंटे डॉक्टरों की तैनाती के अलावा इमरजेंसी सेवा भी शुरू की गई थी. तब इस कार्यक्रम का प्रचार तो  बड़ा जोर-शोर से किया गया, किंतु यह कार्यक्रम एक दिन भी नहीं चल सका. 24 घंटे की बात कौन करे यहां चार घंटे भी कोई डाक्टर उपलब्ध नहीं रहता.

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कई गांवों की उम्मीद की इकलौती किरण है यह अस्पताल

सिताबदियारा में इस अस्पताल के जिम्मे गरीबा टोला, आलेख टोला, रावल टोला, रामनगर, चैन छपरा, छोटका बैजू टोला, शोभा छपरा, लाला टोला, रामेश्वर टोला आदि गांव हैं. इस अस्पताल पर आयुर्वेद की डॉक्टर कविता विश्वकर्मा के अलावा सुखल सफाई कर्मी व एएनएम‍ विभा, विजय लक्ष्मी, अनीता आदि की तैनाती है. जब यहां डाक्टर के ही आने-जाने का समय तय नहीं है तो अस्पताल का तो भगवान ही मालिक होगा.

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