विद्यालयों में गुरूजी नहीं, कैसे बनेंगें विश्व गुरू ?

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शिक्षा क्षेत्र बैरिया व मुरलीछपरा के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों का टोटा
चयनित अंग्रेजी माध्यम विद्यालय भी कुल जमा दो-दो शिक्षकों के भरोसे
बैरिया(बलिया)। पहली जुलाई को इलाके के प्राथमिक विद्यालय गुलजार रहे. उत्साह के साथ बच्चे पहुंचे. चहल-पहल रही. फल वितरण का दिन होने के चलते अधिकांश विद्यालयों में फलों के राजा आम का वितरण हुआ. पढ़ाई थोड़ा कम हुई, खेलने का अवसर भी बच्चों को मिला. सारे उत्साह के बावजूद विद्यालयों में पहले ही की तरह शिक्षकों की संख्या कम ही रही. नए शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है. लगभग हर विद्यालय पर शिक्षक कम होने का रोना रहा. सवाल यह उठता है कि जब विद्यालयों में गुरूजी ही नहीं रहेंगे तो भला भारत के भविष्य विश्व गुरू के अवधारणा को कैसे पूरा करेंगे.
बताते चलें कि शिक्षा क्षेत्र बैरिया के 32 उच्च प्राथमिक विद्यालयों मे अपेक्षित न्यूनतम 160 शिक्षकों के सापेक्ष मात्र 118 शिक्षक ही है. 42 शिक्षकों की कमी है. सिर्फ एक विद्यालय में प्रधानाध्यापक हैं. 31 में प्रभारी से ही काम चल रहा है.

सबसे खराब हालात प्राथमिक विद्यालयों का है. यहां अपेक्षित 490 शिक्षकों के सापेक्ष 169 शिक्षक ही तैनात हैं. 221 शिक्षकों के पद रिक्त हैं.
बैरिया मंडल के श्रेष्ठ विद्यालय जहां छात्र संख्या अधिक रहती है, प्रावि बैरिया, रानीगंज, तालिवपुर, दयाछपरा व रामपुर मिश्र अंग्रेजी माध्यम के लिए बीते सत्र से चल रहे हैं. इनमें बैरिया को छोड़कर शेष चार में सिर्फ दो दो शिक्षक ही तैनात है. जबकि अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक विद्यालयों में एक प्रधानाध्यापक व चार सहायक अध्यापक अनिवार्य रूप से तैनात किए जाने का शासनादेश है.
उधर शिक्षा क्षेत्र मुरलीछपरा छपरा के 97 प्रावि में अपेक्षित 485 शिक्षकों के सापेक्ष मात्र 213 शिक्षक ही तैनात हैं. 272 शिक्षकों की कमी है.

इसी प्रकार 30 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अपेक्षित 150 शिक्षकों के सापेक्ष सिर्फ़ 78 शिक्षक तैनात हैं. 72 शिक्षकों की कमी है.

प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बैरिया शिक्षा क्षेत्र में 13526 तथा मुरलीछपरा में 15171 छात्र फिलहाल पंजीकृत है. जुलाई माह में यह संख्या और भी बढ़ेगी.
अप्रैल माह से नए सत्र शुरू हो जाने के बाद नई कक्षा में प्रवेश पाने वाले छात्रों की नई पुस्तक भी मिलने की उत्सुकता पर कुठाराघात ही हुआ. जून की छुट्टियों में उच्च प्राथमिक की पुस्तकें बीआरसी पर आ गईं, लेकिन प्राथमिक की पुस्तकें अभी तक नहीं आई है. प्राथमिक की पुस्तकों का इन्तजार चल रहा है.
क्षेत्र के प्रबुद्ध प्रो सुभाषचन्द्र सिंह, पं. विभूति मिश्र, श्रीनाथ सिंह, अरुण मिश्र सरीखे अवकाश प्राप्त शिक्षकों की मानें तो अगर सरकार विश्व गुरू बनने का ख्वाब संजोए है तो प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम पांच शिक्षक अथवा 30 छात्र पर एक शिक्षक तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तीन कक्षाओं के लिए तीन शिक्षकों के अलावा अंग्रेजी, संस्कृत व विज्ञान विषय के लिए तीन अन्य यानी कुल छ: शिक्षकों की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिये. दो या तीन शिक्षक कैसे सभी का पठन-पाठन करा पाएंगे. वह तो बच्चों को संभालने में ही व्यस्त रहेगे. ऐसे हालात कैसे मे विश्व गुरू बनने का ख्वाब देखा जा सकता है. बनना कठिन होगा.

http://https://youtu.be/Lt4XWxyyGIY

इस बावत बैरिया शिक्षा क्षेत्र के शिक्षक संघ अध्यक्ष सुनील सिंह का कहना है कि विद्यालय खुलने से पहले स्वच्छता अच्छी पहल रही. बलिया कार्यालय पर विद्यालय समय पर शिक्षक न दिखें का शासनादेश देश स्वागत योग्य है. मिड डे मील सुचारू रूप से शुरू हो गया. सब ठीक है. पर शिक्षकों की कमी सबसे बड़ी समस्या है. मैं शिक्षकों के जो भी देय है उसके भुगतान की मांग करता हूँ. ताकि शिक्षक शिक्षण छोड़ कर बलिया कार्यालय न जांय तथा प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षक तैनात किए जाय ताकि बुनियादी शिक्षा व्यवस्था को परवान चढ़ाया जा सके.