लोकतंत्र की नर्सरी हैं छात्र संसद

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बलिया। छात्र संसद राजनीतिक कार्यशाला होती है. किसी राष्ट्र की चेतना, संस्कृति, सामाजिक संस्कार व मूल्यों का संरक्षण एवं संर्वद्धन राजनैतिक कार्यपालिका द्वारा ही सम्भव होता है. इसके लिये आवश्यक है कि राजनैतिक कार्यपालिका का संस्कारक्षम व संस्कृतिक्षम बनाया जाए. विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान द्वारा संचालित विद्यालयों में छात्र संसद की परिकल्पना भी इसी के निमित की गयी है. जिससे छात्र जीवन में ही विद्यार्थियों में देश की संसदीय व्यवस्था के प्रति समझ और उत्तरदायित्व की भावना हो सके. उक्त उद्गार नागाजी सरस्वती विद्या मन्दिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय माल्देपुर, बलिया में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बलिया विभाग के विभाग प्रचारक श्रीप्रकाश जी द्वारा व्यक्त किया गया.

अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि ने छात्र संसद को राजनीति की कार्यशाला के रूप में सम्बोधित किया. उन्होने कहा कि देश की समस्याओं के निवारण के लिये छात्र जीवन से ही प्रशिक्षण की आवश्यकता है. छात्र संसद शपथ ग्रहण कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथि द्वय द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्जन द्वारा किया गया. अतिथि परिचय एवं स्वागत विद्यालय के प्रधानाचार्य अरविन्द्र सिंह चैहान द्वारा किया गया. कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुये अनिल कुमार (सचिव जिला विधिक प्राधिकरण, बलिया) ने कहा कि लोकतंत्र के नर्सरी के रूप में छात्र संसद व मंत्रिमण्डल को देखा जाना चाहिये. इस नर्सरी से प्रशिक्षित व देश की राजनैतिक संरचना से परिचित होकर ये सभी छात्र राष्ट्र की प्रगति में अमूल्य योगदान देंगे. ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है.

कार्यक्रम के प्रभारी एवं छात्र संसद के प्रभारी आचार्य महेन्द्र प्रसाद सिंह द्वारा छात्र संसद की उपादेयता पर विस्तार से प्रकाश डाला गया. कार्यक्रम में नवनिर्वाचित सांसदों, मंत्रिमण्डल के सदस्यों एवं प्रधानमंत्री के रूप में रजतदीप ओझा को अतिथिगण द्वारा शपथ ग्रहण कराया गया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के अध्यक्ष जगदीश सिंह द्वारा एवं आभार प्रकट विद्यालय के प्रबन्धक डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव जी तथा संचालन मनोज अस्थाना द्वारा किया गया. इस कार्यक्रम में निर्भय निरंजन, संजीव कुमार सिंह, साधना पाण्डेय, विनय सिंह, जयप्रकाष नरायण सिंह, डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव, अनिल सिंह, श्रीनिवास द्विवेदी, कौशल कुमार सिंह, परशुराम मिश्र, सत्येन्द्र सिंह, अरविन्द पाण्डेय, उमेश, नागेन्द्र सिंह, रामजी सिंह, ओमप्रकाश मिश्र आदि सभी आचार्य बन्धु उपस्थित रहे.