लोक कलाएं लोक संस्कृति की होती है संवाहक: डॉ जनार्दन

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संकल्प संस्था द्वारा दो दिवसीय लोक रंग उत्सव का जोरदार से समापन

बलिया। लोक कला और लोक कलाकारों को बचाना अपनी संस्कृति को बचाना है. एक ऐसी संस्कृति जो आपसी प्रेम, सौहार्द, भाईचारे और गंगा-जमुनी तहजीब पर टिकी है. हमें अपने माटी के कलाकारों पर गर्व है जिन्होंने अपनी विरासत को बचा कर के रखा है.
उक्त बातें जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ जनार्दन राय ने लोक रंग उत्सव के अवसर पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा. उन्होंने कहा कि संकल्प ने अपनी लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जो प्रयास किया है वह अनुकरणीय है. संकल्प साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया द्वारा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय लोक रंग उत्सव की शुरुआत जितनी जोरदार रही उसका समापन भी उतना ही शानदार रहा.
स्थानीय कलेक्ट्रेट परिसर स्थित ड्रामा हाल में आयोजित लोक रंग उत्सव के दूसरे दिन लोक कलाओं के विभिन्न रंग देखने को मिले. शुरुआत संकल्प के रंगकर्मियों द्वारा जनगीत से की गयी. ‘एक दिन राजा मरले आसमान में उड़त मैंना‘ गीत को लोगों ने बहुत सराहा. इसके बाद मंच संभाला भरत जी और उनके साथियों ने. अपने लोक वाद्य वाद्य हुरुका से लोगों को बहुत प्रभावित किया. सत्तर से अस्सी साल की उम्र में इन लोक कलाकारों का नृत्य देख लोग अचंभित थे. इसके बाद मंच संभाला श्रीराम प्रसाद सरगम ने. बिदेसिया धुन देश भक्ति गीत सुनाकर सरगम जी ने पूरे माहौल को जोशीला बना दिया.
जनपद के सुप्रसिद्ध गायिका सुनीता पाठक ने एक से बढ़कर एक परंपरागत लोकगीत से लोगों को झुमाया और अपनी परम्परा से जोड़. ‘केहू गोदवाइत हो गोदनवा‘ गीत को लोगों ने खूब सराहा. सुनीता के बाद पूर्वांचल के सुप्रसिद्ध गायक बंटी वर्मा ने बिदेसिया गायन में एक से बढ़कर एक प्रयोग कर लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया. लोकरंग उत्सव के अंतिम दिन की अंतिम प्रस्तुति रही बुढ़ी काकी. सूत्रधार आजमगढ़ द्वारा मुंशी प्रेमचंद की कहानी बुढ़ी काकी की संगीतमय प्रस्तुति ने सबको झकझोर कर रख दिया. बूढ़ी काकी की भूमिका में डा. अल्का सिंह का अभिनय जोरदार रहा. नाटक में दिखाया गया कि हमारे एकल परिवारों में बूढ़े हो गये मां बाप कितने असहाय हो गये हैं.
सभी कलकारों को संकल्प द्वारा प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम स्थल पर लगी लोक प्रदर्शनी को जीवंतता प्रदान करने के लिए सोनी और ट्विंकल गुप्ता को विशेष रूप से सम्मानित किया गया. इनके साथ दिन रात लगकर लोकरंग उत्सव को सफल बनाने के लिए आनंद कुमार चौहान, अर्जुन रावत, गोविंद, साहिल, चन्दन, अखिलेश, राहुल, अभिषेक, रोहित, प्रकाश, विवेक को भी प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया. लोकरंग उत्सव में दोनों दिन जनपद एवं जनपद के बाहर के साहित्यकार, बुद्धिजीवी, रंगकर्मी, कलाकार उपस्थित रहे.
संकल्प के सचिव रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने सभी आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया और भरोसा दिलाया की आगे हम अपनी पूरी जिम्मेदारी के साथ बलिया के रंगमंच और यहां की कला और संस्कृति के संवर्धन के लिए संकल्प के साथी लगे रहेंगे. कार्यक्रम को सफल बनाने में उत्तर प्रदेशीय मीनिस्ट्रियल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कौशल कुमार उपाध्याय, मंत्री संजय भारती, मोहन श्रीवास्तव, मुकेश श्रीवास्तव, धनन्जय राय, शैलेन्द्र मिश्र, डा. राजेंद्र भारती का महत्वपूर्ण योगदान रहा.