सतत श्रृजन ही है जीवन का असली मकसद: मु. परवेज अंसारी

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बलिया। क्या आप जब मकड़ी की जाली को देखते है. मकड़ी बड़े ही परिश्रम से इसे बनती है. अपने शरीर की रस से इसे बुनती है. पर क्या आप इसके उद्देश्य जानते है? आखिर मकड़ी इन जालो में ही कीड़ों जीवो को फंसाकर उन्हें अपना भोजन बनती है.

उक्त बातें हाली पथ स्कूल के प्रबंधक मु. परवेज अंसारी ने कही. कहा कि क्या आप ये बात जानते है कि मकड़ी एक दिन इन्हीं जालों में फंसकर मृत्यृ को प्राप्त हो जाती है.

तो बताइए करते क्या है आप, इन्हे जालों के साथ देखते ही हटा देते है. दूसरी ओर चिड़िया का घोसला चिड़िया भी बड़े परिश्रम से इसे बनती है किन्तु यदि चिड़िया इसे छोड़ कर चली जाती है तो इसके पश्चात भी लोग उसका विनाश नहीं करते है. कराण क्या है? कारण है कि इसका निर्माण जीवन के संचन के लिए किया गया था. जीवन में आप परिश्रम कितना भी अधिक हो यदि आप का लक्ष्य शुभ नहीं हो तो आप को भी विनाश पाना ही होगा तो श्रृजन करते रहिए.