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तुलसी महिमा के आगे नतमस्तक विज्ञान
बलिया। ‘पद्म पुराण‘ में आता है कि कलियुग में तुलसी का पूजन कीर्तन, ध्यान, रोपण और धारण करने से वह पाप को जलाती है और स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करती है. संसार भर के फूलों और पत्तों से जितने भी पदार्थ या दवाईयां बनती है, उनसे जितना आरोग्य मिलता है, उतना ही आरोग्य तुलसी के आधे पत्ते से मिल जाता है.
तुलसी के गुण, उपयोगिता, महत्ता भारत के ऋषि-मुनियों की ऊंची खोज है। तुलसी ‘माता‘ के रूप में अति पवित्र एवं पूजनीय मानी गयी है. यह सुख-समृद्धि देने वाली है. तुलसी पूजन, सेवन से आरोग्य व आर्थिक लाभ के साथ ही आध्यात्मिक लाभ भी देती है. देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो, इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणीमात्र के कल्याण के लिए प्रातः स्मरणीय संत आशाराम बापू की प्रेरणा से वर्ष 2014 से 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाता है. गत वर्षो से इस पर्व की लोकप्रियता विश्व स्तर पर देखी गयी है.
बलिया में श्री योग वेदांत सेवा समिति की ओर से 25 दिसम्बर को गंगा तट पर स्थित आश्रम में तुलसी पूजन दिवस का आयोजन किया गया है. यह जानकारी समिति के अध्यक्ष शशिभूषण दूबे ने दी है. उन्होंने बताया कि तुलसी पूजन से बुद्धि बल, मनोबल, चरित्र बल व आरोग्य बढ़ता है. मानसिक अवसाद, दुव्र्यवसन आत्महत्या से लोगों की रक्षा होती है.