एकेडमिक कौंसिल की हरी झंडी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सम्बद्ध कॉलेजों में भी अब पीएचडी

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इलाहाबाद। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के संघटक कॉलेजों में पीएचडी की दशकों पुरानी इच्छा शुक्रवार को पूरी हुई. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हाँगलू की अध्यक्षता में हुई एकेडमिक कौंसिल की मीटिंग में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई है. डिग्री कॉलेजों और उनसे जुड़े शिक्षकों के लिए यह एक बड़ी सौगात है. कुछ महीने पहले विश्वविद्यालय के कुलपति ने प्रोफेसर जगदंबा सिंह के निर्देशन में एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी ने सभी कॉलेजों का दौरा किया. कुछ दिन पहले कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. शुक्रवार की बैठक में इसी रिपोर्ट पर चर्चा होनी थी.

विधि संकाय में हुई इस बैठक में विश्वविद्यालय के 42 विभागों के विभागाध्यक्ष, चारों संकाय के डीन, रजिस्ट्रार, डीएसडब्लू और कई कॉलेज के प्रिंसिपल समेत लगभग 60 सदस्य शामिल हुए. कुलपति ने एकेडमिक कौंसिल की मीटिंग में प्रस्ताव रखा कि कॉलेज में पीएचडी कोर्स आरंभ किया जाए. जिसे वहां उपस्थित सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति और एक स्वर से सहमति प्रदान की.

एकेडमी काउंसिल की मीटिंग में कुलपति ने सभी कॉलेजों में सैद्धान्तिक रूप से पीएचडी की मंजूरी दे दी. एकेडमी कौंसिल में इस आशय का प्रस्ताव भी पास कर दिया गया. अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सभी संघटक कॉलेज अपने स्तर पर शोध प्रक्रिया आरंभ कर सकेंगे. पीएचडी में प्रवेश का आधार क्रेट परीक्षा द्वारा निर्धारित होगा.

कॉलेजों के लिए ऐसा है मानक

यूजीसी के अनुसार कॉलेज में एक असिस्टेंट प्रोफेसर के निर्देशन में 5 और एसोसिएट प्रोफेसर के निर्देशन में 8 छात्र शोध कर सकेंगे. विश्वविद्यालय से जुड़े सभी कॉलेजों को पीएचडी कराने की अनुमति दी गई है. परंतु राजर्षि टंडन कन्या महाविद्यालय को इसमें शामिल नहीं किया गया. उनके पास आधारभूत संरचना का अभाव बताया गया. वहां स्टाफ और छात्रों की संख्या भी पर्याप्त नहीं है.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ. चितरंजन कुमार ने कहा कि कुलपति ने 50 साल से लंबित कार्यों को अंजाम तक पहुंचाया है. अब वर्षों से पक्षपात के शिकार कॉलेज विश्वविद्यालय के समक्ष आ गए हैं. कई शिक्षकों का पूरा जीवन बिना रिसर्च के गुजर गया था. अब कॉलेजों के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा. यह कॉलेजों और उनके शिक्षकों के लिए ऐतिहासिक पल है.

हिन्दी में शोध की 60 सीटें बढ़ेंगी

एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में इस बात पर भी चर्चा हुई कि हिंदी विभाग में शोध की 60 सीटें बढ़ाई जाएं. इसके लिए बहुत शीघ्र ही विज्ञापन निकलेगा और यह 60 सीटें 2017 -18 की होंगी.

इन कॉलेज को पीएचडी में इन कोर्स की स्वीकृति

इलाहाबाद डिग्री कॉलेज– हिंदी, रक्षा अध्ययन, अर्थशास्त्र

सीएमपी कॉलेज– बॉटनी, जूलॉजी, केमेस्ट्री, कॉमर्स, लॉ, हिंदी,इंग्लिश, संस्कृत, ज्योग्राफी, एजुकेशन ,एंसीएन्ट हिस्ट्री पॉलिटिकल साइंस.

ईश्वर सरन डिग्री कॉलेज– हिंदी, इंग्लिश,एंसीएन्ट हिस्ट्री ,मेडिवल हिस्ट्री,, सोशियोलॉजी, पॉलीटिकल साइंस ,डिफेंस स्टडीज ,एजुकेशन, कॉमर्स, इकोनॉमिक्स

यूइंग क्रिश्चियन कॉलेज– इकोनॉमिक्स, फिलोशफी, पॉलीटिकल साइंस, एजुकेशन, बॉटनी, केमेस्ट्री, फिजिक्स

एसपीएम कॉलेज– पॉलिटिकल साइंस, डिफेंस, कॉमर्स .

आर्य कन्या– पॉलिटिकल साइंस, एजुकेशन .

जगत तारन कॉलेज– संस्कृत .

हमीदिया कॉलेज– उर्दू .

एसएस खन्ना कॉलज– हिंदी, प्राचीन इतिहास, सोशियोलॉजी, बॉटनी, केमिस्ट्री ,जूलॉजी.

सेल्फ फाइनेंस कोर्स को रेगुलर मोड में करने को बनी कमेटी

राजर्षि टंडन कॉलेज में पीएचडी की सुविधा नहीं दी गई. एकेडमी काउंसिल की मीटिंग में कई कॉलेजों ने इस बात को उठाया कि सेल्फ फाइनेंस कोर्स को रेगुलर मोड में किया जाए. इसके लिए कुलपति ने एक कमेटी गठित की.

60000 विद्यार्थियों को मिलेगा लाभ

कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हांगलू ने कहा, “आज कॉलेजों ने पीजी से पीएचडी तक की यात्रा पूरी कर ली है. इसका लाभ विश्वविद्यालय के साठ हजार छात्रों को मिलेगा. किसी भी विश्वविद्यालय की पहचान शोध से ही होती है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कॉलेजों को शोध और ज्ञान का केंद्र बनाने का लक्ष्य है. हम कॉलेज की हरसंभव और हर स्तर पर सहायता करेंगे. कोई भी व्यक्ति यूनिवर्सिटी को जकड़ कर नहीं रख सकता. हम चाहते हैं कि सब पढ़ें, सब बढ़े. इलाहाबाद विश्वविद्यालय को देश में रिसर्च का केंद्र बनाया जाएगा. विश्वविद्यालय में संस्थागत सुधार के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. आगे बढ़ने का एजेंडा तय कर लिया है.”