कुलपति ने किया “अंतः के स्वर” पुस्तक का विमोचन

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद नीरज शेखर ने कहा, कृतियां मानव को बनाती है अमर

मंच से अतिथियों के साथ साहित्यकारों का किया गया सम्मान
बलिया। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेन्द्र सिंह ने शनिवार को किरण सिंह के दोहा संग्रह ‘अंतः के स्वर’ का विमोचन टाउन हाल बापू भवन में सहित्यकारों, पत्रकारों एवं गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में किया. विमोचन कार्यक्रम में मुख्यअतिथि राज्यसभा के सांसद नीरज शेखर, विशिष्ट अतिथि भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार डा. जनार्दन राय आदि की मौजूदगी उल्लेखनीय रही. कार्यक्रम की आयोजक श्रीमती रागिनी अशोक ने मुख्य अतिथि कुलपति सहित अन्य अतिथियों तथा साहित्यकारों का स्वागत किया. श्रीमती रागिनी सिंह व गौरव सिंह रठौर ने अतिथियों का माल्यार्पण व अंगवस्त्रम, स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया. सभी ने कार्यक्रम के प्रारम्भ में सरस्वती जी के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित एवं माल्यार्पण किया.
इस अवसर पर रचनाकार किरण सिंह ने अब तक की प्रकाशित मुखरित संवेदनायें, प्रीत की पाती एवं अंत के स्वर के बारे में बताते हुए इसकी रचनायें पढ़कर सुनाई, जिसका सभी लोगों ने खुले मन से सराहना की.
इस अवसर पर जन नायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेन्द्र सिंह ने कहा कि शब्द-शब्द को चुनकर जो रचनाकार साहित्य लिखता है, वह समाज के लिए अनमोल रतन के समान है. उनकी रचनायें सदियों तक याद की जाती है. कुलपति प्रो. सिंह ने अंतः के स्वर नामक दोहो की पुस्तक का जिक्र करते हुए बताया कि इसमें परिवार से लेकर श्रृष्टि से प्रारम्भ, वर्तमान परिवेश, समाज में महिलाओं की स्थिति, महिलाओं का चरित्र-चित्रण किया गया है. किरण सिंह ने दोहो के माध्यम से जीवन के हर पहलुओं को स्पर्श करने का प्रयास किया है. इसमें जीवन के हर आदर्श का समावेश किया गया है. उन्होंने इसे भारतीय साहित्य परम्परा का अवयव बताया.

कहा कि दोहा लिखने की समाप्त हो रही परम्परा को किरण सिंह ने जीवंत करने का एक सफल प्रयास किया है. उन्होंने दोहे की प्रस्तुति की बार-बार सराहना की.

पुस्तक की रचनाकार किरण सिंह ने अपनी रचनाओं की चंद पंक्तियां प्रस्तुत की. उनके प्रस्तुतियों में ‘सबसे सुंदर मेरा गांव… की श्रोताओं ने सराहना की. उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में भारतीय मनीषा परम्परा का पूर्णतः पालन किया गया है. पुस्तक के अंत में ओम शांति का भी परिदृश्य स्पष्ट रूप से झलकता है. यह पुस्तक समाज को सदैव आलोकित करती रहेगी.

उन्होंने आज की तिथि की चर्चा करते हुए कहा कि 10 नवम्बर को ही इस धरती के लाल चंद्रशेखर जी ने भारत के प्रधानमंत्री की शपथ ली थी. अंत में समाज के सभी पक्षों को छूने के लिए श्रीमती किरण सिंह को साधुवाद दिया.

मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद नीरजशेखर ने साहित्य को समाज का मुख्य अंग बताते हुए साहित्यकारों को सच्चा समाज सेवक बताया.

इस मौके पर आयोजक रागिनी सिंह व गौरव सिंह ने जनपद के दर्जनों साहित्यकारों को सम्मानित किया. विशिष्ट अतिथि गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. लल्लन सिंह ने अंतः के स्वर के दोहे की सराहना करते हुए किरण सिंह को बधाई दी. इस अवसर पर नगर पालिका परिषद के पूर्व चेयरमैन संजय उपाध्याय, श्रीमती साधना गुप्ता ने पुस्तक की सराहना की.

कुंवर सिंह महाविद्यालय की डा. मंजू रानी ने अंतः के स्वर की लेखिका किरण सिंह के मेधा शक्ति की भूरि-भूरि प्रशंसा की. कार्यक्रम के प्रारम्भ में शिवम मिश्रा, राहुल तिवारी व अन्य साथियों ने सरस्वती वंदना के साथ अनेक रचनाओं की संगीतमय प्रस्तुति की. इस मौके पर नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी दिनेश विश्वकर्मा सहित समस्त कर्मचारीगण मौजूद रहे. इस मौके पर श्वस्ति वाचन पं. ध्रुवपति ध्रुव ने किया.
इस मौके पर डा. अशोक द्विवेदी, ई. भोला नाथ सिंह, अशोक सिंह, गणेश सिंह, सुनील सिंह, विमल पाठक, बब्बन विद्यार्थी, मोहनजी यादव, डा.हरेन्द्र यादव, डा. राजेन्द्र भारती, पिंटू सिंह, प्रमुख व्यापारी आलोक कुमार, शशिप्रेम देव, चंद्रशेखर उपाध्याय मौजूद रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार डा. जनार्दन राय ने अंतः के स्वर में सम्माहित दोहो की प्रशंसा की. संचालन रंगकर्मी विवेकानंद सिंह ने किया. अंत में किरण सिंह के पति ई. भोलानाथ सिंह ने आयोजन में आये अतिथियों एवं श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया.

One Reply to “कुलपति ने किया “अंतः के स्वर” पुस्तक का विमोचन”

  1. किरण जी बहुत प्रतिभाशाली हैं , साहित्य जगत को उनसे बहुत उम्मीदें हैं | उम्मीद है हमें उनके माध्यम से दोहा , छन्द, मुक्तक जैसी प्राचीन साहित्यिक विधाओं में कुछ श्रेष्ठ पढने को मिलता रहेगा | अतुकांत कविता के दौर में इन विधाओं को जीवित रखने का उनका प्रयास अनुपम है | बेहतरीन रिपोर्टिंग , कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए हार्दिक बधाई

Comments are closed.