…और बैरिया कस्बे में अचानक महिलाओं ने बारिश के लिए शुरू किया परम्परागत टोटका

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एक घंटे तक चला भागम-भाग, गाली गलौच, पानी फेंकौव्वल व हास परिहास का दौर

पानी के लिए महिलाओं ने की इंद्र देव, वरुणदेव, भगवान शंकर, हनुमानजी व काली जी की परम्परागत उपासना

बैरिया(बलिया)। पानी न बरसने से जन जीवन बेचैन हो उठा है. बैरिया कस्बे की लगभग दो दर्जन महिलाओं ने इंद्र देव व वरुण देव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार की देर शाम परम्परागत टोटका शुरू कर दिया. अचानक हाथ में बाल्टी लोटा लिए झुंड में महिलाएं कस्बे में नुमाया हुईँ और रास्ते चलते लोगों पर गिलास व लोटा से छपाक-छपाक पानी फेंकना शुरू कर दीं. महिलाओं को देख बाजार में भागम-भाग व हंसी ठट्ठा का माहौल तैर गया. महिलाओं का झुंड भगवान शिव, इन्द्रदेव, वरुण देव को प्रसन्न करने तथा जल वर्षा से धरती को संतृप्त करने की याचना वाले परम्परागत गीत झझकार के गाती हुई शिवालय पर पहुंच वहां भगवान शिव की आराधना, बाजार के हनुमान मन्दिर में पहुंच हनुमान जी और फिर काली माता मन्दिर पर माँ काली की आराधना कर पानी बरसाने की प्रार्थना की. महिलाएं जब रास्ते पर चलीं तो दर्जनों लोगों पर पानी डाली. हैकड़ी जता रहे तिराहे पर पुलिस वालों को भी नहीं बक्सा और परम्परागत गीतों में खूब गालियाँ भी सुनाईं .
महिलाओं का यह कार्यक्रम बैरिया कस्बे में लगभग एक घंटे तक चला.
यहाँ यह बताते चलें कि बरसात नहीं होने पर गांवों में ऐसी परम्परा है कि कुछ चिढ़ने वाले लोगों पर पानी गोबर आदि डालते हैं. जिससे झल्लाकर वह आदमी गालियाँ दे. मानते है कि जितनी गालियाँ गोबर पानी फेंकने वालों को दी जाएगी, बरसात उतनी ही होगी. बैरिया कस्बे में अचानक महिलाओं के आने और पानी फेंकने, बूढ़े लोगों को खोज खोज कर पानी डालने, उपासना स्थलों पर झझकार कर गीत गाने के दौरान बाजार में गाली, गलौच व हास परिहास का दौर चलता रहा.


इलाके में बरसात न होने से लोग तड़प उठे है, खेत सिसक रहे है, किसान अपनी खेती का विलम्ब देख परेशान हैं. ऐसे में बैरिया कस्बे की महिलाओं ने ईश्वर को मनाने वाले परम्परागत टोटका शुरू कर दीं.