अमरावती नदी के जीर्णोद्धार को हुई कार्यशाला

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जल संचयन करें तभी कल भी होगा जल: जलगुरू महेंद्र मोदी

असली देशभक्त वही, जो करे पर्यावरण की चिंता: स्वामी आनंदस्वरूप

बलिया। वर्तमान में अपनी लगभग अंतिम सांसे गिन रही अमरावती नदी/अमवा नदी के पुनरूद्धार के लिए कलेक्ट्रेट सभागार में एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ. जल संरक्षण की नई-नई देशी खोज के कारण जलगुरू की संज्ञा पाने वाले पुलिस महानिदेशक तकनीकी सेवाएं महेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यह गोष्ठी हुई. गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि स्वामी आनन्दस्वरूप रहे. दोनों अतिथियों ने जलस्रोतों की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए जल के दोहन को रोकने व पानी रिचार्ज की विधियों को अपनाकर जल संरक्षण की जरूरत बताई. इसकी शुरूआत खुद से, अपने घर से शुरू करने का आवाह्न किया.

जलगुरू महेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले दस वर्षाें में 15 प्रांतों में भ्रमण कर जल संरक्षण का प्रशिक्षण देकर जो माॅडल विकसित किया, जो पूरी तरह हिन्दुस्तानी माॅडल है. तालाब का ऐसा डिजाइन विकसित किया जिससे वाष्पीकृत होकर उड़ने वाले जल को बचाया जा सके. पानी के स्टेटा को उपर उठाने के शोध किये विभिन्न तरीकों को समझाया. महेंद्र मोदी ने कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर बताया कि किस तरह जलस्तर को उपर उठाया जा सकता है. कहा कि हर घर में सस्ता वाॅटर रिचार्ज का माॅडल विकसित किया जाए. कच्ची मिट्टी का चेकडैम बनाकर तथा खेतों में जल संचयन करके पानी के स्टेटा को बरकरार रख सकते हैं.
उन्होंने पाॅवर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से जल संचयन के तरीकों के बारे में समझाया. अब तक उन्होंने जो भी शोध किये हैं उसके बारे में बताया. कुंएं के जलस्तर को कैैसे उपर करें, घरेलू व्यवस्था के जरिये काफी कम खर्च में वाॅटर रिचार्ज करने से लेकर नदियों को शुद्ध करने के तरीके को समझाया और इस पर अमल करने की जरूरत बताई.
स्वामी आनंदस्वरूप ने कहा कि आज बहुत कम लोग अमरावती के बारे में जानते हैं. अमरावती नदी के पुराने इतिहास को साझा करते हुए इसके जीर्णोद्धार में सबको आगे आने को कहा. कुएं, तालाब, पोखरे आदि जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने का संकल्प लेने का आह्वान किया. यह भी कहा कि जल के दोहन करने की देर है कि कहीं कहीं लोग बूंद-बूंद पानी को तरह रहे हैं. पौधरोपण पर जोर देते हुए कहा कि पौधे रहेंगे तो आॅक्सीजन प्रचुर मात्रा में रहेगा. जलस्तर बढ़ेगा तभी पौधों का संरक्षण आसान होगा. इससे पहले लोक भारती के श्रीकृष्ण चैधरी ने कार्यक्रम की रूपरेखा को प्रस्तुत किया. डीसी मनरेगा उपेंद्र पाठक ने जल संरक्षण के लिए चल रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी. संचालन प्रो विजय कर्ण ने किया. अंत में लोक भारती के विभाग संयोजक धर्मेंद्र सिंह ने सबका आभार प्रकट किया.

जरूरी सूखे कुंओं व हैंडपम्प को जिंदा करने पर दिया जोर

जलगुरू महेंद्र मोदी ने कहा कि जल संरक्षण के लिए सबसे जरूरी है कि कुंओं व हैंडपम्पों को जीवित किया जाए. काफी खर्च वाला यह काम काफी हफ्ते दिन में भी हो सकता है. ठान लिया जाए तो श्रमदान व जनजागरूकता से सारे कुओं को महीने-दो महीने में जिंदा किया जा सकता है. कुंओं की सफाई करते समय यह विशेष सावधानी बरतनी होगी कि उसमें जहरीली गैस न हो. यह सुझाव दिया कि कभी भी कूड़े में हरी पत्तियां, अनाज आदि न फेकें. ऐसी चीजों को पेड़ों की जड़ों के पास रख दें.

नदियों को शुद्ध रखने के बताए देशी उपाय

नदियों को शुद्ध रखने के लिए जरूरी है कि नालों का गंदा पानी नदियों में जाने से रोका जाए. इसके लिए प्राकृतिक उपाय भी किये जा सकते हैं. बताया कि केली, आस्ट्रेलिज, नेटफोलिस, फाईटा आदि जैसे सैकड़ों ऐसे पौधे है जो गंदगी को छानने का काम करते हैं. ऐसा प्रयास होना चाहिए जहां नदी में नाला गिरता है उससे पहले ऐसे पौधे लगा दिए जाए तो काफी हद तक गंदगी छनकर नदी में पानी जाएगा. इसके अलावा ऐसे नालों के बीच दो या तीन तालाब बनाकर उसमें ऐसे पौधों को लगाकर भी पानी की गंदगी कम की जा सकता है. अगर नाले के गंदे पानी को सीधे नदी में जाने से रोक दें तो बारिश के पानी से नदी खुद को साफ कर लेगी.

वर्षाजल को सुरक्षित करना होगा

जलगुरू महेंद्र मोदी ने इस बात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हमने बारिश के पानी को सुरक्षित नहीं रखा, उसका सम्मान नहीं किया. नतीजन शुद्धजल का संकट पैदा होने लगा है. हमें वर्षाजल को सुरक्षित करना होगा. कुंओं, तालाबों व अन्य जल स्रोतों के माध्यम से पानी को रिचार्ज करना होगा.

पानी में नींबू डालकर नहाएं

महेंद्र मोदी ने कहा कि साबुन से नहाने से ज्यादा पानी खर्च होता है. यदि पानी में नींबू डालकर नहाएं तो काफी कम पानी में नहा सकते हैं. इससे पानी भी कम खर्च होगा और अनेक लाभ भी होंगे. उन्होंने विशेषकर नहाने, गाड़ी धोने व अन्य रोजमर्रा के कार्याें में जल के दोहन को रोकने का सुझाव दिया. सिंचाई के लिए भी खेतों में जल संचयन के तरीके समझाए. यह भी सुझाव दिया कि ग्लोबल वार्मिंग से बचना है तो जरूरत के हिसाब से ही सीमेंट, कंकरीट, टाॅयल्स आदि का प्रयोग करें. ज्यादा से ज्यादा पौधरोपण करें और फलदार पौधे लगाएं.
जिले के लिए अमृत हो सकती है अमरावती: स्वामी आनंदस्वरूप

प्रदेश में अमरावती समेत सात नदियों को किया जाएगा पुनर्जीवित

अमरावती नदी के जीर्णोंद्धार की सोच के साथ आए स्वामी आनंदस्वरूप व पुलिस महानिदेशक तकनीकी सेवाएं जलगुरू महेंद्र मोदी ने संयुक्त प्रेसवार्ता की.
स्वामी आनंदस्वरूप ने कहा कि अमरावती नदी बलिया के लिए अमृत हो सकती है. बशर्ते इसके पुराने स्वरूप को वापस लाने के लिए हम सब मिलकर प्रयास करें. कहा, बलिया का सौभाग्य है कि यहां नदियों का समूह है. सरकार ने प्रदेश की जिन सात नदियों को फिर से जिंदा करने का निर्णय लिया है उसमें अमरावती भी शामिल है. जब कुंआ, तालाब तथा ये छोटी-छोटी नदियां जिंदा रहेंगी तभी गंगा भी बचेगी. स्वामी आनंदस्वरूप ने बताया कि अमरावती नदी मूल से रूप से आजमगढ़ जिले के लाटघाट से निकलती है जो इब्राहिमपट्टी में जिले में प्रवेश करती है.

पुलिस महानिदेशक तकनीकी सेवाएं महेंद्र मोदी ने कहा कि कुआ, तालाब, पेड़-पौधों का संरक्षण होगा तभी जलस्तर उपर उठेगा. प्रयास हो कि हर घर में प्रदूषणरहित वर्षा जल पुरर्भरण प्रणाली विकसित किया जाए. कुएं के पास कच्ची मेढ़ बनाकर पानी रोककर जलस्तर को बढ़ाया जा सकता है. इस मानव जीवन की रक्षा करने से सम्बन्धित कार्य में हर वर्ग के लोगो का सहयोग अपेक्षित है.