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नौजवानों के साख पर लगता है बट्टा
लगभग 40 लाख रूपए पूर्णावधि के भुगतान के लिए अभिकर्ता अमर नाथ पाण्डेय लगा रहे दफ्तरों का चक्कर
कम्पनी द्वारा दिया गया चेक हो रहा बाउंस
बलिया। मध्यम व निम्न आय वर्ग के लोगों को अल्प बचत की योजनाओं का झांसा देकर पूर्णावधि पर उनके धन को वापस न देने, धन के लूट की सूचनाएं आए दिन मिलती रहती हैं. ऐसे में क्षेत्र के उन नौजवानों के साख पर बट्टा लगता है, जो बेरोजगारी की मार झेलते हुए एक नया रोजगार पा लेने के मुगालते व कमीशन की आस में गांव-गांव घूमकर लोगों को मोटिवेट कर उनका धन जमा कराते हैं. ऐसा ही एक मामला इन दिनों जनपद में चर्चाए ख़ास में है. बसुधरपार निवासी अमरनाथ पांडेय ग्रामीण समाज सेवा एसोसिएशन नामक संस्था में अभिकर्ता हैं. उनका आरोप है कि 300 से ₹500 तक मासिक किस्त पर उन्होंने ग्राहकों से लगभग 40 लाख रुपया जमा कराया है. जिसका भुगतान होना है. मैच्योरिटी पर संस्था द्वारा बैंक आफ बडौदा का चेक दिया गया. जो बाउंस हो गए. अभिकर्ता अमरनाथ पांडेय पर भुगतान के लिए जमाकर्ताओं का दबाव बढ़ता जा रहा है. जबकि ग्रामीण समाज सेवा एसोसिएशन की जनपद में कई शाखाएं चल रही हैं. लेकिन भुगतान नहीं हो रहा है. अमरनाथ पांडे इस मामले को संस्था के प्रबंधन तक ले गए. लेकिन टालमटोल ही होता रहा.
उधर जमाकर्ताओं का दबाव उन पर बढ़ता रहा. इस मामले में अमरनाथ पांडेय अपने पास के उपलब्ध प्रपत्रों, चेकों की छाया प्रति के साथ सदर विधायक आनंद स्वरूप शुक्ला, सदर कोतवाली, पुलिस अधीक्षक व जिलाधिकारी बलिया से मिलकर प्रार्थना पत्र देकर कानूनी कार्यवाही करते हुए जमाकर्ताओं का धन भुगतान कराने का आवेदन कर चुके हैं. पांडेय का कहना है कि पहले तो हर जगह कानूनी कार्यवाही का आश्वासन मिलता है. लेकिन बाद में आश्चर्यजनक ढंग से लोग चुप्पी अख्तियार कर लेते हैं. उनका कहना है कि हार थक कर वह वित्त मंत्रालय, गवर्नर भारतीय रिजर्व बैंक, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री पोर्टल सहित दर्जनभर संबंधित अधिकारियों के यहां प्रार्थना पत्र देकर जांच कार्यवाही तथा जमाकर्ताओं के धन के भुगतान के लिए प्रार्थना पत्र दिए हैं. लेकिन अभी तक इस संदर्भ में कोई कार्यवाही नहीं हुई, और ना ही जमाकर्ताओं का भुगतान ही हुआ. श्री पांडेय का कहना है उनके द्वारा जमा कराए गए धन का लगभग 40 लाख रुपए का भुगतान होना है. जबकि उक्त कंपनी जनपद में लगभग 200 करोड़ रुपए का कारोबार की है. जिसका भुगतान हवा में झूल रहा है. कुल मिलाकर इस तरह की कंपनियों द्वारा आए दिन जमा कराकर भुगतान न देने का मामला तथा अभिकर्ताओं का समाज में साख पर बट्टा लगने का सिलसिला लंबे समय से चल रहा है.