जल्द ही तैयार हो जाएगा बलिया से बिहार को जोड़ने वाला ढाई किमी लम्बा पुल

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पहले इसका नाम रखा गया जनेश्वर मिश्र सेतु, लेकिन सत्ता बदलते ही हो गया रिवर महा सेतु

पुल बन जाने पर और जुड़ेगें बिहार से रिश्ते, मिलेंगे रोजगार के अवसर

हल्दी(बलिया)। हर प्रकार के रिश्तों को बढ़ाने के लिए पुल की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. वह चाहे छोटा हो या बड़ा. लोगों की नजर में दोनों की अहमियत बराबर होती है. नदी के किनारे बसे जिन शहरों या गांवों के पास पुल-पुलिया की सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहां विकास पुरी तरह अवरूद्ध है.

क्षेत्र के नगवां गांव के सामने से गंगा उस पार बेआसी गांव के समीप तक बनने वाले पुल से सदियों पुरानी समस्या तीन माह बाद हमेशा के लिये खत्म हो जायेगा. गंगा नदी पर निर्माणाधीन रिवर महासेतु का कार्य अंतिम चरण में है. अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो ढाई किलोमीटर लंबे गंगा पुल पर वाहनों का आवागमन इस साल बाढ़ आने से पहले तैयार हो जायेगा. फिलहाल महासेतु का निर्माण युद्ध स्तर पर जारी है. कार्य को अंतिम रूप देने में लगे सैकड़ों कामगार व अत्याधुनिक मशीनें निर्माण स्थल के पास दिन-रात लगी हुई हैं. ताकि दियारा के विकास में मील का पत्थर बनने वाले महासेतु का कार्य तय समय पर पूरा हो सके

वर्ष 2015 में बलिया के नगवां गांव के सामने से बेयासी के बीच गंगा नदी पर पक्का पुल बनाने की मांग पिछले कई वर्षों से हो रही थी. लेकिन, ग्रामीणों के ख्वाब को हकीकत में बदलने की पहल किसी भी जनप्रतिनिधि के द्वारा नहीं की जाती थी. ग्रामीणों की चिरप्रतीक्षित मांग पर मई 2015 में सदर विधायक व यूपी सरकार के तत्कालीन खेलकूद, खादी ग्रामोद्योग व विज्ञान-तकनीकी मंत्री नारद राय के प्रयास से रिवर महासेतु का शिलान्यास तत्कालीन लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल यादव किया था.

उस वक्त पुल का नाम समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र के नाम पर रखा गया था. लेकिन, सत्ता बदलते ही पुल का नाम परिवर्तित हो गया.
उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम के तहत बन रहे गंगा रिवर सेतु की कुल प्राक्कलित राशि 03 अरब 99 करोड़ रूपये है। निर्माण कार्य का जिम्मा नई. दिल्ली की कंपनी अरविंद टेकनो इंजीनियर्स प्रा. लि. एवं चंडीगढ़ की एसपी सिंगला प्रा. लि. नामक कंपनी को संयुक्त रूप से सौंपा गया है. पुल की कुल लंबाई 2.5 किलोमीटर है. उत्तर दिशा में यह बलिया के पास गाजीपुर-हाजीपुर एनएच-31 को जोड़ेगी. जबकि दक्षिण में यह बक्सर-कोईलवर तटबंध के नजदीक शिवपुर दियारा में मिलेगी. निर्माणाधीन गंगा पुल दो लेन का है तथा पायों की कुल संख्या 25 है.

निर्माण कार्य को अंतिम रूप देने में कामगार मुस्तैदी से लगे हुए हैं. जिस रफ्तार से कार्यों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, उससे बलिया के साथ बक्सर जिले के लोगों में खुशी व्याप्त है. क्योंकि, महासेतु का निर्माण पूरा होने से दोनों शहरों की दूरी सिमट जायेगी. फिलहाल, उत्तर प्रदेश जाने के लिये लोगों को बक्सर स्थित क्षतिग्रस्त वीर कुंवर सिंह सेतु व नावों का सहारा लेना पड़ रहा है, जो लंबी दूरी के साथ एक जोखिम भरा सफर साबित हो रहा है.
महासेतु पर आवागमन चालू करने के लिये पुल के दोनों तरफ एप्रोच रोड बनाने का कार्य शुरू हो चुका है. फिलहाल, पुल के उत्तरी छोर पर संपर्क पथ बन रहा है. जबकि, दूसरे छोर का कार्य भी जल्द शुरू होगा. एप्रोच रोड बनाने की जिम्मेदारी बलिया की चर्चित छात्र-शक्ति इंफ्रा इंस्ट्रक्चर प्रा. लिमिटेड नामक कंपनी को सौंपा गया है.

कंपनी सूत्रों के मुताबिक पुल के उत्तर में संपर्क पथ की लंबाई लगभग 3.5 किलोमीटर है, जो गाजीपुर-हाजीपुर एनएच-31 में मिलेगी. जबकि, दक्षिण में लंबाई 1.8 किलोमीटर है. जो शिवपुर दियारा में मिलेगी. संपर्क पथ की कुल प्राक्कलित राशि लगभग 01 अरब 96 करोड़ रूपये है.
बन रहे पुल से सबसे अधिक लाभ दियारांचल के गांवों को मिलने वाला है. लेकिन, हैरत की बात यह है कि ऊधर बिहार के हिस्से में संपर्क पथ बनाने को लेकर सुगबुगाहट तक नहीं है. पुल से बक्सर जिले के किन-किन हिस्सों को संपर्क पथ से जोड़ा जायेगा.
सिमट जायेगी यूपी के गांवों की दूरी
आवागमन की समस्या से वर्षों से जूझ रहे यूपी के बलिया जनपद अंतर्गत बेयासी, परानपुर, जवहीं व नवरंगा पंचायत क्षेत्र के लोगों को पुल बनने के बाद काफी सलूहियत मिलेगी. चूंकि, साल के सात माह लोगों को बलिया सहित यूपी के अन्य हिस्सों में जाने के लिये उन्हें बक्सर होते हुए 65 किलोमीटर की लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. जबकि, साल के पांच माह लोग पीपा पुल के सहारे उस पार आवाजाही करते हैं. लेकिन, अब रिवर महासेतु के बनने के बाद यूपी के गांवों के आवागमन की वर्षों पुरानी समस्या हमेशा के लिये खत्म हो जायेगी.
आवागमन पर बाढ़ का नहीं पड़ेगा असर
गंगा का रिवर महासेतु दियारा में विकास की एक नई इबारत लिखेगा. वर्षों से बाढ़ की त्रासदी झेल रहे लोगों को अवागमन की कठिनाईयों से मुक्ति मिलेगी. वैसे तो पुल के पास प्रत्येक साल पीपा का निर्माण होता है. जिससे दियारावासी आवाजाही करते हैं. लेकिन, बरसात में नदी का जलस्तर बढ़ने तथा बाढ़ की संभावनाओं को देखते हुए पीपा को बंद कर दिया जाता है. लेकिन, नए पुल बनने से लोगों को बाढ़ या जलस्तर बढ़ने का असर नहीं पड़ेगा. यूपी के साथ बिहार के लोग भी बिना किसी बाधा के इस पार से उस पार आवाजाही कर सकते हैं.
एक्स्ट्रा डोज केबल तकनीक से हो रहा निर्माण
महासेतु की खासियत यह है कि इस तरह का पुल देश में दूसरी बार बन रहा है. 25 पायों पर खड़े पुल के स्ट्रक्चर को पूरी तरह एक्स्ट्रा डोज केबल तकनीक से बनाया गया है. इस तरह का पुल भारत में सिर्फ गुजरात के भुंज में चालू है. जबकि दूसरा बलिया व बेयासी के बीच गंगा नदी पर बन रहा है. कंपनी सूत्रों ने बताया कि पुल जर्मनी टेक्नोलॉजी से बन रहा है. विदेशी टेक्नोलॉजी से बने पुलों की लाईफ अमूमन 80 से 100 सालों तक रहती है. इस दौरान पुल को मरम्मत करने की आवश्यक्ता नहीं पड़ती है.
दियारा में रोजगार की बढ़ेगी संभावनाएं
पुल के बनने से दियारा में एक नए युग का सूत्रपात होगा. एक तरफ जहां, दियारा के दुग्ध उत्पादकों, सब्जी विक्रेताओं, दैनिक मजदूरों, सरकारी कर्मचारियों, विद्यार्थियों, किसानों व मरीजों को आने-जाने में सहुलत मिलेगी, वहीं दुसरी तरफ सड़कों का जाल बिछने पर क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेगी. चूंकि, समूचे दियारांचल में पशुपालकों द्वारा दुग्ध का बेहतर उत्पादन किया जाता है. साथ ही मिट्टी उपजाऊ होने के चलते किसानों द्वारा सब्जी सहित कई अन्य फसलों की खेती वृहद पैमाने पर की जाती है. पुल बनने के बाद पशुपालकों व किसानों के साथ कई अन्य बेरोजगार लोगों को भी अपना व्यवसाय खड़ा करने में मदत मिलेगी.